गर्मी के दिनों में अक्सर हम ठंडे पानी की तलाश में झटपट फ्रीज में रखा पानी पी लेते हैं,लेकिन यदि हम पुरातन परंपराओं पर नजर दौड़ाएं तो हमें मिटटी की सुराही या तांबे के बर्तन में संग्रहित किए गए जल की अपने आप ही याद आ जाएगी। आज हम आपको तांबे के बर्तन में पानी को संग्रहित करने और इसे पीने के फायदे बताएंगे।
आयुर्वेद के अनुसार तांबे के बर्तन में एकत्रित जल त्रिदोषशामक होता है। इसे ‘तमारा’ जल नाम भी दिया जाता है। इस संग्रहित जल की सबसे बड़ी खूबी होती है कि यह अधिक समय तक सुरक्षित रहता है। तांबे को जीवाणुरोधी प्रभाव के कारण भी जाना जाता है। इसलिए स्वच्छता-अभियान’ के लिए तांबे के बर्तन में एकत्रित किया गया जल लोगों में पीने के पानी के संक्रमण से होने वाले रोगों में लगाम लगा सकता है।
तांबे के बर्तन में एकत्रित किया पानी थाईरोक्सिन हार्मोन के स्तर के नियंत्रण में भी मददगार होता है। तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना हमारे मस्तिष्क की कार्यकुशलता को भी बढाता है। साथ ही, सूजनरोधी प्रभाव के कारण जोड़ों के दर्द में भी लाभ प्रदान करता है।अमेरीकन कैंसर सोसाईटी के शोध अनुसार तांबा कैंसर की प्रारंभिक अवस्था में काफी मददगार होता है। तांबे को अपने एंटीमाइक्रोबीयल एवं एंटीवायरल प्रभावों के कारण जल्द ही घावों को भरने वाले गुणों से युक्त माना गया है। तांबे के बर्तन में एकत्रित पानी हमारे शरीर की अतिरिक्त चर्बी के साथ-साथ हमारे वजन को नियंत्रित करने में भी मददगार होता है।
तांबे को एक ऐसी धातु के रूप में जाना जाता है जिसकी अल्प मात्रा शरीर में संपन्न होने वाली क्रियाओं के लिए आवश्यक होती है। यह पोषक तत्वों के रक्तवाहिनियों में संचरण को भी नियंत्रित करता है जिससे एनीमिया जैसी स्थितियों में भी काफी लाभ मिलता है। एनिमिया के बर्तन में एकत्रित पानी हमारे दिल सहित रक्तचाप को नियंत्रित रखता है तो आइए आज से हम अपनी पुरातन और वैज्ञानिक सोच को पुनर्जीवित करें और इस बार गर्मी में अधिक से अधिक मिट्टी या तांबे के बर्तन में रखे पानी का सेवन करें।