मोदी ने ममता के बहाने भारतीय संघवाद को भी रेखांकित किया। एक हिंदू संघवादी अब भारतीय संघवाद की बात कर रहा है, क्या यह चेतना का विकास नहीं है ? संघीय शासन का सीधा-सादा अर्थ है—विकेंद्रित शासन । विकेंद्रीकरण सिर्फ शासन में ही नहीं, पार्टी में, परिवार में, समाज में और सरकार में—सभी जगह होना चाहिए। शक्ति के ध्रुवीकरण का ही दूसरा नाम तानाशाही है । मोदी सरकार अपने पहले साल में विकेंद्रीकरण का उलट रूप ही मानी जा रही है। यह रूप संघ, पार्टी, सरकार, और राष्ट्र सभी पर हावी रहा है। मोदी सरकार की लोकप्रियता के नीचे लुढ़कने का एक बड़ा कारण यह भी रहा है। अब लगता है कि मोदी सरकार का नया अवतार हो रहा है ।
यदि यही अवतार उत्कर्ष पर पहुँचें और पराकाष्ठा प्राप्त करे तो कोई कारण नहीं है कि भारत की राजनीति उस ‘एकात्म भाव’ पर न पहुँचे, जिसका सपना दीनदयाल उपाध्याय ने देखा था । यदि सतारूढ़ लोगों में आवश्यक उदारता और विनम्रता हो तो भूमि–अधिग्रहण या सामान्य कर या कला धन कानून को पारित करवाने में कोई कठिनाई क्यों होगी ? टीम इंडिया की धारणा की यही परीक्षा होगी । जो भी कानून पिछली सरकार ने बनाए हैं या संसद ने पारित किए हैं, उन्हें सेंत-मेंत में रद्द करने की बजाय यदि आम राय का और सलाह—मश्विरा का रास्ता चुना जाए तो टीम इंडिया की धारणा अपने आप साकार हो जाएगी।