वहीं भारत में 3 लाख मौतें सालाना शराब के कारण होती है|
देश के हर राज्य में आबकारी विभाग के साथ-साथ एक मद्य निषेध विभाग भी है… जिसका काम है लोगों को शराब के उपभोग से स्वास्थ्य सामाजिक आर्थिक दृष्टि से होने वाले नुकसान से परिचित कराते हुए स्वैच्छिक अघोषित शराबबंदी को बढ़ावा देना|
कितना जबरदस्त अंतर्विरोध है एक ओर गली-गली गांव-गांव शराब के ठेके खुलवा कर शराब की आसान उपलब्धता सुनिश्चित कर लोगो को मारिए दूसरी तरफ लोगों को जागरूक कीजिए.. आबकारी से हुई कमाई का आधा प्रतिशत भी शराब के विरुद्ध जागरूकता के प्रचार प्रसार कार्य में खर्च नहीं किया जाता.. वह भी पूरा जागरूक नहीं जागरूक भी आधे अधूरे मन से.. सरकार को डर रहता है कहीं लोग पूरे जागरूक हो गए तो शराब पीना ही ना छोड़ दे.. लाखों-करोड़ों का राजस्व कहां से मिलेगा? |
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आर्य सागर खारी ✒✒✒