लाभ- वैद्यक ग्रंथों में उषा: पान को अमृत पान भी कहा गया है। इससे पेट साफ होता है, पित्तजनित रोग समाप्त होते है और रक्त शुध्द होकर हृदय, मस्तिष्क एवं स्नायु मण्डल को बल प्राप्त होता है। जल चिकित्सा एक जादू सा प्रभाव डालने वाली चिकित्सा है। जल चिकित्सा से रक्त पित्त के विकार, सिरदर्द, किड़नी और पेशाब के विकार, मोटापा, कब्ज, माईग्रेन, गैस, उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि में लाभ होता है। ऐसे बहुत से विकारों में फायदे की बात यह है कि इसका कोई साइडफेक्ट नहीं होता। जो पानी सुबह हम पीते है वह 1 घंटे के अंदर 3-4 बार पेशाब में निकल जाता है।