उषा पान
उषा पान- इसके लिए उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ जल लेना चाहिए। सूर्योस्त के बाद साफ किए हुए तांबे के पात्र में 1 लीटर पानी भर कर रख दें। तांबे के कुछ बर्तन में रखा हुआ जल 12 घण्टे में विशुध्द होता है। तांबे के पात्र को ढंक कर लकड़ी के पाटे पर रखना चाहिए। प्रात उठते ही कागासन में बैठ कर चार गिलास पानी शरीर ताप के अनुसार पिएं। थोड़े दिनों बाद पानी की मात्रा डेढ़ लीटर तक करनी चाहिए। उसके एक घंटे बाद तक कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए।
लाभ- वैद्यक ग्रंथों में उषा: पान को अमृत पान भी कहा गया है। इससे पेट साफ होता है, पित्तजनित रोग समाप्त होते है और रक्त शुध्द होकर हृदय, मस्तिष्क एवं स्नायु मण्डल को बल प्राप्त होता है। जल चिकित्सा एक जादू सा प्रभाव डालने वाली चिकित्सा है। जल चिकित्सा से रक्त पित्त के विकार, सिरदर्द, किड़नी और पेशाब के विकार, मोटापा, कब्ज, माईग्रेन, गैस, उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि में लाभ होता है। ऐसे बहुत से विकारों में फायदे की बात यह है कि इसका कोई साइडफेक्ट नहीं होता। जो पानी सुबह हम पीते है वह 1 घंटे के अंदर 3-4 बार पेशाब में निकल जाता है।