असली प्रश्न यह है कि बैजल के ये आरोप सिद्ध कैसे होंगे ? क्या उन्होंने इन संवादों को कहीं टेप—रिकार्डर या विधिवत डायरी में दर्ज किया है ? या क्या उन्होंने किन्हीं निजी पत्रों में (उन्हीं
तिथियों में) किसी को ये सारी बातें लिख भेजी थीं ? यदि इस तरह का कोई प्रमाण उनके पास नहीं है तो उनके ये आरोप हवा में उड़ जाएँगे। उनपर कोई भरोसा नहीं करेगा। लोग यह भी पूछेंगे कि उन्होंने प्रधानमन्त्री और दूरसंचार मंत्री के अवैध और अनैतिक आदेशों का पालन क्यों किया? उन्होंने अपनी खाल बचाने के लिए देश को अरबों—खरबों का चूना क्यों लगने दिया? उन्होंने सी. बी. आई और जे.पी. सी. में उनकी पेशी के समय ये सब रहस्योद्घाटन क्यों नहीं किए? उनकी पुस्तक छापने के लिए कोई प्रतिष्ठित प्रकाशक तैयार क्यों नहीं हुआ? वह उन्हें खुद क्यों छापनी पड़ी? लोग शक करेंगे कि उन्होंने कहीं मोदी सरकार का कृपा—पात्र बनने के लिए तो ये मनगढ़ंत कहानियाँ नहीं परोस दी है ? कोई आश्चर्य नहीं कि विरोधी दल बैजल के इस शीर्षासन को मोदी सरकार के सिर पर ही न दे मारें। वे कह सकते हैं कि मोदी सरकार के इशारे पर ही बैजल ने यह लिखा है।
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