आंखों में आंसू और निर्णयों में कठोरता : आखिर किस मिट्टी के बने हैं योगी आदित्यनाथ ?
गाजियाबाद। योगी आदित्यनाथ के बारे में यदि यह कहा जाए कि वह एक राजनेता के रूप में अपना स्थान बना चुके हैं तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। जैसे कोई राजनेता अपने राष्ट्र निर्माण के सपनों में खोया रहता है और 24 घंटे एक साधक की भांति राष्ट्र सेवा का महत्वपूर्ण कार्य करता है वही स्थिति योगी आदित्यनाथ की है। वह पल पल प्रतिपल राष्ट्र के लिए समर्पित होकर कार्य करते हैं। उनके आलोचक उन पर चाहे जो आरोप लगाऐं पर उनके निर्णय बहुत ही संतुलित और निष्पक्षता को परिलक्षित करने वाले होते हैं। हाल ही में उन्होंने धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतरवाए हैं तो उसमें उन्होंने अपना यह कार्य केवल मस्जिदों तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि मंदिरों पर भी उतनी ही कड़ाई दिखाई है जितनी मस्जिदों पर।
अभी तक भारतीय जनता पार्टी आम तौर पर ‘बैठक’ ‘भोजन’और ‘विश्राम’की अपनी परंपरा के लिए प्रसिद्ध रही है। पर योगी आदित्यनाथ ने भाजपा की इस परंपरागत कार्यशैली में भारी परिवर्तन करके दिखाया है। वह कड़े परिश्रम के लिए जाने जाते हैं । इसके साथ ही वह अपने मंत्रियों और अधिकारियों से भी यही अपेक्षा करते हैं कि वह भी कड़ा परिश्रम करके प्रदेश को अग्रणी स्थान पर लाएं।
। उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, ‘चिंतन-मंथन’ की अपनी पुरानी प्रथा पर वापस चले गए हैं, 1990 के दशक की शुरुआत में कल्याण सिंह के पहले कार्यकाल की याद दिलाते हुए, जब बैठकें 8-10 घंटे तक चली थीं, इसलिए इतना कि एक बार वह खुद भी मानसिक थकान के कारण बेहोश हो गए थे।
परिश्रम और अथक संघर्ष करने के लिए अपना स्थान बना चुके योगी आदित्यनाथ के विषय में उनके एक वरिष्ठ मंत्री ने शिकायत भरे लहजे में कहा, “हम सचमुच नींद से वंचित हैं। वह एक योगी हैं और मुश्किल से दो घंटे की नींद पर अपनी कठिन दिनचर्या का प्रबंधन कर सकते हैं; लेकिन हमारा क्या?”
अन्य लोगों ने कहा कि चूंकि सरकार नई थी, इसलिए उनके निर्वाचन क्षेत्रों के लोग सुबह-सुबह उनके आवास पर उनसे मिलने आते थे, क्योंकि उनमें से कई देर रात तक पहुंच नहीं पाते थे। आखिर समय की पाबंदी योगी सरकार की एक और पहचान है?
47-विषम मंत्री, जो शाम से आधी रात तक दैनिक प्रस्तुतियों के माध्यम से बैठे थे, अब एक अस्थायी राहत की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि उन्हें जल्द ही मई-जून की गर्मी में राज्य की यात्रा करने के लिए कहा जाएगा।
एक बार जब एक मंत्री ने जानना चाहा कि उन्हें अपने विभाग के अलावा किसी अन्य विभाग की प्रस्तुति में क्यों भाग लेना चाहिए, तो योगी ने बेरहमी से कहा था, “विभाग भी बदल सकते हैं। इसके अलावा जिलों के प्रभारी के रूप में, सभी मंत्रियों को हर विभाग के बारे में पता होना चाहिए।”
योगी जल्द ही विकास कार्यों की निगरानी के लिए मंत्रियों को जिलों का आवंटन करेंगे जिसके बाद गांवों में रात्रि प्रवास के साथ उनके दौरे शुरू होंगे. संयोग से सिर्फ मंत्री ही नहीं नौकरशाह और बाबु भी आधी रात को तेल जला रहे हैं। एक वरिष्ठ नौकरशाह ने अफसोस जताया, ‘अब जब बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है, तो हमें हर बार कार्यालय में प्रवेश करने या छोड़ने पर अपने अंगूठे का निशान देना होगा।
अब योगी सचिवालय में कार्य संस्कृति को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार के पहले महीने में सकारात्मक परिणाम देखने को मिले। और यह अभी शुरुआत है।
वास्तव में शासन और प्रशासन के कार्यों में शिथिलता देश या प्रदेश की गति को शिथिल कर देती है। प्रशासनिक कार्यों में सक्रियता और निरंतरता का प्रवाह यदि सतत चल रहा है तो समझ लें कि देश प्रदेश गति कर रहे हैं। योगी शासन प्रशासन के इस मूलमंत्र को भली प्रकार जानते हैं । यही कारण है कि वह अपने किसी भी शिथिल पुर्जे को अर्थात मंत्री को रुकने नहीं देते हैं। वैसे भी उत्तर प्रदेश जनसंख्या के दृष्टिकोण से बहुत बड़ा प्रदेश है। दुनिया में इस प्रदेश से केवल 6 देश ही अधिक जनसंख्या रखते हैं । कुल मिलाकर सारे देशों के प्रधानमंत्री या शासनाध्यक्ष उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की अपेक्षा छोटे होते हैं। बात स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना किसी देश के शासनाध्यक्ष से कम नहीं है। ऐसे में किसी भी मुख्यमंत्री के लिए बहुत अधिक ऊर्जावान और सक्रिय होना स्वाभाविक है। जिसे योगी आदित्यनाथ जानते समझते हैं।
योगी आदित्यनाथ अभी अपनी मां से मिलकर आए हैं। जहां पर उनकी आंखों में छलके आंसू अखबारों की सुर्खियां बने हैं। ऐसा वह कई बार पहले भी कर चुके हैं। जब वह भावुक हुए हैं और उनकी आंखों में आंसू अखबारों में छप गए हैं। इससे पता चलता है कि वह एक बहुत ही उदारमना मुख्यमंत्री हैं। यद्यपि उनकी कठोरता उनके निर्णयों में स्पष्ट झलकती है। एक अच्छे शासक को कठोर था और उदारता का संगम होना ही चाहिए उनके आंसू बताते हैं कि वह कानून पसंद लोगों के लिए उदार मन हैं और उनकी नीतियों की कठोरता बताती है कि वह देश विरोधी शक्तियों के प्रति अत्यंत कठोर हैं। ऐसा अद्भुत सम्मिश्रण वास्तव में हर किसी में नहीं मिलता।