२- फलों का सेवन: भोजन के साथ अथवा भोजन के तुरंत बाद फलों का सेवन करने से पेट (आमाशय) में तेजी से गैसेज का गुबार भरने लग जाता है. अतः फलों का सेवन या तो भोजन करने से कम से कम १ घंटा पहले या फिर भोजन करने के कम से कम २-३ घंटे बाद करना चाहिये.
३- चाय काफी न पियें: चाय काफी में पाये जान े वाले टेनिन, थीन, एवं अम्ल की प्रवत्ति, भोज्य पदार्थों एवं शरीर के अंदर मौजूद प्रोटीन्स एवं मांसपेशियों को बुरी तरह कठोर बनाने की होती है. भोजनोपरांत चाय काफी के सेवन करने से यह प्रक्रिया १० गुना घातक हो जाती है.
४- बेल्ट या नाड़ा ढीला न करें: भोजनोपरांत बेल्ट या नाड़े को ढीला करने से अंतड़ियों में अंटी-फँसने के कारण (बल-पड़ने के कारण) पाचन-नाल के उस स्थान पर बुरी तरह अवरुद्ध होने की प्रबल संभावना बनी रहती है.
५- स्नान: भोजनोपरांत किये जाने वाले स्नान से रक्त का बहाव आमाशय से परे शरीर एवं त्वचा के बाह्य भागों की ओर चले जाने से पाचन-तंत्र के निष्क्रिय होने की संभावना काफी प्रबल हो जाती है. अतः स्नान या तो भोजन करने के कम से कम १५ मिनिट पूर्व या फिर भोजन करने के कम से कम २-३ घंटे बाद करना चाहिये.
६- तेजी से घूमना, चलना, फिरना: सच कहा जाये तो, विज्ञान सम्मत तथ्य तो यह है कि… भोजन करने के तुरंत बाद, कम से कम आधा से एक घंटा की अवधि तक, तेजी से घूमना, चलना, फिरना कतई नहीं करना चाहिये ताकि भोज्य पदार्थों से आँत एवं रक्त में पोषक तत्व बिना किसी अवरोध के ठीक तरह से अवशोषित एवं आत्मसात हो सके.
७- निद्रा: भोजन करने के तुरंत बाद सो जाने से आँतों में गेस्ट्रिक एवं संक्रमण की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं. अतः वैसे तो दिन में सोना ही नहीं चाहिये और अगर थोड़ा-बहुत सोते भी हैं तो भोजन करने के बाद कम से कम १ से २ घंटे तक तो आवश्यक रूप से नहीं सोना चाहिये.