यजुर्वेद का 24 वां अध्याय प्राणी शास्त्र के नाम से जाना जाता है। इस अध्याय में 337 प्रकार के पशु पक्षियों का वर्णन मिलता है। जगत में आने वाले प्राकृतिक उत्पातो आपदाओं का ज्ञान पशु पक्षियों को स्वाभाविक रूप से शीघ्र हो जाया करता है। इसके अतिरिक्त यह भी विचारणा एवं जानना आवश्यक है कि पक्षियों के कपिज्जल आदि नाम कब और कहां से रखे गए हैं। वेद में यह शब्द यौगिक रूप से पुरुषों के विशेषण के रूप में आए हैं। उन्हीं शब्दों को लेकर वैसा गुण रखने वाले या वैसा कार्य करने वाले पशु पक्षियों के नाम भी रखे गए है। इसी विषय को महर्षि मनु ने स्पष्ट किया है।
सर्वेषां तु स नामानि कर्माणि च पृथक् पृथक् ।
वेद शब्देभ्यः एवादौ पृथक् संस्थाश्च निर्ममे।। (मनु-१-२१)
महर्षि यास्क कहते हैं।
अघोरामः सावित्र इति पशु समाम्नोय विज्ञायते ।स कस्मात् सामान्यात इति अधस्तात् बेलायाम् तमो भवति एतस्मात् सामान्यात् अधस्तास्तको अधस्तातकृष्णः।
अघोराम पक्षी नीचे भाग से काला और ऊपर से सफेद होता है उषाकाल में ऊपर को प्रकाश और नीचे का अंधकार का घोतक है यह पक्षी। महर्षि दयानंद मंत्र २४-१ की व्याख्या करते समय कहते हैं कि- अत्र सर्वत्र देवता पदेन तन्तगुणयोगात पशवो वेदितव्या: अर्थात इस प्रकरण में सर्वत्र जिस जिस पशु का जो-जो देवता कहा गया है उस उस पशु से वह वह गुण ग्रहण करना चाहिए। इसकी पुष्टि शतपथ ब्राह्मण के इस वाक्य से होती है।
छत्रं वा अन्वश्वो वैश्यश्च शूद्रश्चानुरासमो ब्राह्मणः अजः। शतपथ ब्राह्मण६-४-१२
छत्रिय का अनुगामी घोड़ा है शक्तिशाली होने से ।वैश्य और शूद्र का अनुमान ही गधा है थोड़ा आहार और अधिक परिश्रम करने से। ब्राह्मण का अनुगामी बकरा है विनीत होने से। हमें चिड़ियाघर जाकर इन पशु पक्षियों के बारे में अवश्य जानकारी करनी चाहिए इनके व्यवहार पर अनुसंधान करना चाहिए। इन जानवरों के शरीर बहुत ही संवेदनशील होते हैं। अतः इन की जानकारी अनुपेक्षनीय है। इसके कतिपय उदाहरण इस प्रकार है यदि भोजन में विष का प्रयोग होगा तो तोता मैना और भोरा पक्षी शब्द करने लगेंगे क्रौंच पक्षी विषेली वस्तु के पास नशे में झुमने लगेगा। जीवक पक्षी परेशान हो जाएगा ।कोयल की मृत्यु आ जायेगी चकोर पक्षी की आंखें लाल हो जाएंगी यह सब ज्ञान इन पक्षियों को स्वाभाविक रूप से है प्राकृतिक आपदाओं के विषय में पशु पक्षी वैज्ञानिकों से अधिक जानते हैं। कुत्ता हाथी जैसे जानवर भूकंप से पूर्व उसकी आहट पहचान लेता है। पशु पक्षियों के सुनने की क्षमता जबरदस्त होती है। सर्वशक्तिमान परमात्मा वेद में हमें यही शिक्षा वेद मे कर रहे हैं हमें इन विविध पशु पक्षियों का उचित प्रयोग करना चाहिए। अर्थात पशु पक्षियों के गुण धर्मों का लाभ उठाना चाहिए।
*आचार्य विद्या देव पूर्व आचार्य गुरुकुल टंकारा व गुरुकुल एटा*।