“उसने पलट कर देखा, रंगीन चश्मा लगाए हुए एक लड़का गा रहा था, बस देखते ही लड़की का पारा गर्म हो गया और तभी उसने उसे एक झापड़ दे मारा, ये ले!”
“बस इतना देखते ही वहाँ खड़े लोग उस पर टूट पड़े और चप्पल, लात, घूँसों से उसे धो दिया !”
“ अरे, तुम लोग इसे क्यों मार रहे हो … बुजुर्ग व्यक्ति जोर से चिल्लाये, ये बेचारा तो अन्धा है, किसी तरह गाना गा –गा कर अपने परिवार का गुजारा करता है , भीड़ शर्मिंदा थी , लड़के का निस्तेज चेहरा ,बगल में रखा दानपात्र और उसका टूटा हुआ रंगीन चश्मा अब उसके अंधे होने की गवाही दे रहा था !”
“लड़की अपने किये पर शर्मिंदा थी, माफ़ी मांगते हुए बोली, माफ़ करना भईया मुझसे गलती हो गयी, ये कुछ रूपये रख लीजिये !”
“पर आपने गाना तो सुना ही नहीं बहन जी, मैं ये नहीं ले सकता !”
“अच्छा चलिए आपको घर तक छोड़ देती हूँ, अंकल आप भी साथ चलिए रास्ता बता दीजियेगा !”
“नहीं मैं चला जाऊंगा, मेरा दुर्भाग्य हमेशा मेरे साथ –साथ चलता है , और वो पुनः गाते हुए चल दिया … चुप रहना, ये अफसाना, कोई इनको ना बतलाना ……!”
चश्मा तो लड़के की आँखों से गिरा था, पर आँखे लड़की की खुल चुकी थीं !
© हरि प्रकाश दुबे