गीता मेरे गीतों में
गीत संख्या , 14
तर्ज : बाबुल की दुआएं लेती जा …..
जो सच्चे योगी होते हैं – वह पीर पराई हरते हैं।
जो भी दुखिया उन्हें मिलता है उसकी भलाई करते हैं।। टेक।।
जो दुखिया के दु:ख में हो दु:खी
दु:ख हरने की युक्ति सोचे।
कोई दुखिया रहे ना इस जग में
हर प्राणी की मुक्ति खोजे।।
जो ऊंची सोच सदा रक्खे ना कभी बुराई करते हैं।
जो सच्चे योगी होते हैं – वह पीर पराई हरते हैं…
भगवान उन्हीं को चाहते हैं,
जो हर प्राणी को चाहते हैं।
जो मानव तन को पाकर के
खुशियों के फूल बिछाते हैं।।
जो सब के संग में नेह करें और सबकी भलाई करते हैं..
जो सच्चे योगी होते हैं – वह पीर पराई हरते हैं….
धर्मराज के हित अर्जुन !
गांडीव संभाल चलो रण में।
उपकार करो मानवता पर
योगी सम युद्ध करो रण में।।
मत कायरता का दाग लगा भले लोग बुराई करते हैं …
जो सच्चे योगी होते हैं – वह पीर पराई हरते हैं…
जिनको तू अपना कहता है,
वह अपने तेरे हो न सके।
वे युद्ध की इच्छा से आए
मैदान में तेरे हो न सके।।
‘राकेश’ तू कर , युद्ध सखा – सब तेरी बड़ाई करते हैं …
जो सच्चे योगी होते हैं – वह पीर पराई हरते हैं…
( ‘गीता मेरे गीतों में’ नमक मेरी नई पुस्तक से)
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत