_जब पूरा देश शिवलिंग पर कटर चलाए जाने पर दुखी था तब अशोक गहलोत जयपुर में इफ्तार पार्टी कर रहे थे_

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*उधर मस्जिद का फाटक टूटा…. इधर 3 मंदिर तोड़वा दिए गए*

– जिनके घर शीशे के हों वो दूसरे के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते और जिस कौम के अंदर ही गद्दार छुपे हों वो अपने गद्दारों को निस्तेज किए बिना शत्रुओं से कोई जंग नहीं जीत सकते

-जिहादियों से जंग बहुत मुश्किल इसलिए है क्योंकि पहले तो हमारे अंदर जाति पाति है यानी हम बंटे हुए हैं… अगर कुछ लोग जागरूक भी हुए हैं तो वो कई बार बहक भी जाते हैं और अगर कुछ पक्के वाले हिंदूवादी हैं तो भी उनको ये नहीं पता कि आखिर उनको करना क्या है ? और अगर उनको ये पता भी है कि करना क्या है तो वो पहले पिटने का इंतजार करते हैं इसके बाद प्लैनिंग करते हैं कि क्या करना है ? लेकिन तब तक सरकार सब कुछ अपने नियंत्रण में ले लीती है… और इन्हीं बीमारियों के चलते हिंदू एक हजार साल से पिटता ही चला आ रहा है

-अलवर में एक 300 साल पुराने शिव मंदिर को तोड़ दिया गया… दरअसल एक गौरव पथ का निर्माण करवाया जा रहा है…. कांग्रेस पार्टी का आरोप ये है कि अलवर के राजगढ़ में जहां ये मंदिर तोड़ा गया उस नगर पालिका में 35 में से 34 पार्षद बीजेपी के हैं बोर्ड बीजेपी का है और उसके प्रस्ताव के बाद ये तोड़फोड़ हुई है । अगर हम उस प्रस्ताव को पढ़ें तो पहली बात ये है कि उसमें साफ लिखा है कि मुख्तमंत्री गहलोत के निर्देशानुसार… यानी नगरपालिका ने जो प्रस्ताव पारित किया वो मुख्यमंत्री के निर्देश पर था । और दूसरी बात ये है कि आज भी अखबारों में छपा है कि प्रस्ताव के अंदर सिर्फ 30 फीट ही अतिक्रमण हटाने की बात थी लेकिन अधिकारियों ने 60 फीट अतिक्रमण हटा दिया… जिसमें मंदिर भी आ गया और इसमें सारे अफसर गहलोत सरकार के ही हैं…

-मैं यहां बीजेपी शासित नगरपालिका बोर्ड को बख्श नहीं रहा हूं… बोर्ड की अपने आप में कोई ताकत नहीं होती है… उनका खर्चा पानी सब कुछ सरकार और कलेक्टर से ही चलता है अगर सरकार और कलेक्टर की बात वो नहीं मानेंगे तो उनकी ताकतें छीन ली जाएंगी… वो एक ऐसी संवैधानिक संस्था है जिसके अधिकार बहुत सीमित हैं और सिर्फ रबर स्टैंप की ही तरह हैं । लेकिन फिर भी मैं ये कहना चाहता हूं कि हिंदू बीजेपी नेताओं में वैसे जोश और धर्म के प्रति जुनून नहीं है जैसा ओवैसी और दूसरे मुस्लिम नेताओं में नजर आता है…अगर किसी जिले के वार्ड के गांव के अंदर भी मुसलमानों के साथ कुछ होता है तो हैदराबाद में बैठे ओवैसी को पता लग जाता है वो ट्वीट भी करता है और दौरे भी करता है लेकिन अगर राजगढ़ के अंदर शिव लिंग पर कटर चलता है तो बीजेपी के 34 के 34 पार्षद सोते रहते हैं जो वहीं के रहने वाले हैं एक भी संज्ञान लेकर विरोध नहीं करता है । दरअसल बीजेपी की सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि वो कार्यकर्ताओं की जगह धनपशुओं को ज्यादा वरीयता देती है… टिकट वितरण में… जिनको धर्म से कोई लेना देना ही नहीं है ।

-फिर भी अगर 300 साल का मंदिर टूटा तो इसमें मुख्य तौर पर दोषी गहलोत सरकार ही है मैं दावे से कह रहा हूं कि अगर ये 300 साल पुरानी कब्र होती है तो गहलोत सरकार में हिम्मत नहीं होती बुलडोजर चलवाने की

-जब शिवलिंग को तोड़ा जा रहा था मूर्तियों को नाले में फेंका जा रहा था तब वहां पर हिंदू मौजूद थे लेकिन वैसा प्रतिरोध नहीं कर सके जैसा करना चाहिए था । एक बात और समझने वाली है कि मूर्तियों को तोड़ा जाना और नाली में फेंक देना या फिर शिवलिंग पर कटर चलाने का मतलब साफ है कि बुलडोजर दस्ते में कोई ना कोई ऐसा व्यक्ति था जो हिंदू धर्म से बेइंतहां घृणा करता है अन्यथा ऐसा तो बिलकुल भी ना किया जा सकता

-कुल मिलाकर बड़ी बात ये है कि 100 करोड हिंदू उस भैंसे की तरह है जो अपने ही बोझ से दबा हुआ है उठ भी नहीं सकता है…. ये 100 करोड़ हिंदू आपस में ही लड़ने में लगा हुआ है…. संजय दीक्षित जी ने अपनी किताब ब्रेकिंग इंडिया में लिखा है कि 1928 में ख्वाजा हसन निजामी ने घोषणा की थी कि मुसलमान एक एकतापूर्ण राष्ट्र हैं… और वो अकेली ही हिंदुस्तान के स्वामी होंगे । खूनी युद्ध लड़कर मुसलमानों ने हिंदुओं पर विजय प्राप्त की थी जबकि हिंदू एक मामूली समुदाय है वो कभी आपस के झगड़ों से मुक्त नहीं होते हैं… मुसलमानों ने ही शासन किया है और मुसलमान ही शासन करेंगे ।

-हसन निजामी ने जो बात कही वो एकदम सही मालूम पड़ती है जब हमारी कौम के अंदर ही गहलोत जैसे गद्दार बैठे हुए हैं… जब

राष्ट्रीय हिन्दू संगठन

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