वसुधैव कुटुंबकम की पवित्र भावना को संयुक्त राष्ट्र बनाए अपना सूत्र वाक्य : हरीश चंद्र भाटी
यजुर्वेद पारायण यज्ञ के अंतिम और सातवें सत्र में अपना संबोधन देते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री हरिश्चंद्र भाटी ने कहा कि पश्चिमी देशों के तथाकथित विद्वानों के साथ-साथ कम्युनिस्ट और कांग्रेसी मानसिकता के लोगों ने वेदों के अर्थ का अनर्थ किया है। देश के पौराणिक समाज ने भी वेद के मन्त्रार्थ को बिगाड़कर अध्यात्म-ज्ञान की हिंसा का अपराध किया है।।
मैंने कहा कि हमें इस बात के लिए मर्सी दयानंद का ऋणी होना होगा कि उन्होंने वेदों के वास्तविक अर्थ को स्थापित करने के लिए भारत की लुप्तप्राय शास्त्रार्थ परंपरा को पुनर्जीवित किया। आर्य समाज ने इस परंपरा के आधार पर वेदों को भारत में पुनः प्रतिष्ठा देने का सराहनीय कार्य किया । जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है । महर्षि दयानंद और उनके शिष्यों के द्वारा शास्त्रार्थ परंपरा से इसके कोटि-कोटि जनों का लाभ हुआ। जिन लोगों ने वेद के अर्थ का अनर्थ किया था उनकी पोल खुली और सच्चाई सामने आई। जो लोग पुराणों में अध्यात्मिक ज्ञान खोज रहे थे और वेदों से भी ऊपर पुराणों को मान रहे थे, आर्य समाज के दिग्गजों ने उनकी इस प्रकार की मान्यता की पोल खोल दी।
श्री भाटी ने कहा कि सत्यार्थ प्रकाश में महर्षि दयानन्द ने जिस प्रकार राज धर्म की व्याख्या की है, उसे आज के संदर्भ में अपना कर भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर राजनीति का हिंदूकरण और हिंदुओं का सैनिकीकरण करने की जिस उच्चादर्श की बात को कहा करते थे उसे आर्य समाज के संस्थापक और समग्र क्रांति के अग्रदूत महर्षि दयानंद के सत्यार्थ प्रकाश के राज धर्म संबंधी समुल्लास को अपनाकर पूरा किया जा सकता है ।
भाजपा के नेता ने कहा कि पौराणिक जगत् के विद्वान् यज्ञ शब्द से केवल ‘अग्निहोत्र से लेकर अश्वमेध पर्यन्त श्रौत कर्मों’ का ही ग्रहण करते हैं, जबकि वेदों के पुनरुद्धारक स्वामी दयानन्दजी महाराज अपने वेदभाष्य में यज्ञ शब्द का अर्थ ‘अग्निहोत्र से लेकर अश्वमेध पर्यन्त श्रौत कर्म’ के अतिरिक्त ‘अनेक शुभ कर्मों’ का भी ग्रहण करते हैं। ‘यज्ञ’ शब्द ‘यज्ञ देवपूजासंगतिकरणदानेषु’ (धातुपाठ १/७२८) इस धातु से ‘यजयाचयतविच्छप्रच्छरक्षो नङ्’ (अष्टाध्यायी ३/३/९०) इस पाणिनीय वचनानुसार भाव में ‘नङ् (न)’ प्रत्यय होकर बनता है। ‘यज’ धातु के देवपूजा, संगतिकरण और दान ये तीन अर्थ हैं।
श्री भाटी ने कहा कि वह उगता भारत समाचार पत्र की इस मांग से सहमत हैं कि महर्षि दयानंद के जन्मदिवस को अंतर्राष्ट्रीय यज्ञ दिवस के रूप में मान्यता प्रदान की जाए। इसके लिए वह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को अपने स्तर पर पत्र लिखेंगे और आर्य समाज की इस मांग से अवगत कराएंगे। साथ ही उन्होंने उगता भारत समाचार पत्र के संपादक डॉ राकेश कुमार आर्य के इस् मत से भी सहमति व्यक्त की कि संयुक्त राष्ट्र को कृण्वंतो विश्वमार्यम् और वसुधैव कुटुंबकम के पवित्र वैदिक आदर्श को अशुद्ध वाक्य घोषित करना चाहिए और इसी के अनुसार अपनी कार्य नीति की घोषणा करनी चाहिए।