नोट : – अगर रोग प्रथम चरण का हो तो २० ही दिन में पथरी निश्चितरुप से निकल जायेगी |
+/ भुनी हुई फिटकरी १० ग्राम , पानी २०० ग्राम – दोनों को मिलाकर दिन में एक बार पीने से मूत्रकृच्छ् , पथरी और मूत्रावरोध दूर होता है | इसे दस दिन प्रयोगकर देंखे |
+/ गोखरु छोटा १० ग्राम , कुल्थी के बीज ५० ग्राम , शलजम के बीज ५० ग्राम , हींग बढ़ियॉ ४ ग्राम , सेंधा नमक ५ ग्राम , मूली का रस पत्तों सहित २०० ग्राम और पानी ७०० ग्राम |
तैयार करने का तरिका : – कूटनेवाली औषधियों को कूट-पीसकर महीन चूर्ण बना लें , इस चूर्ण को मूली के रस और पानी में मिलाकर ओंटाएँ | जब २०० बचे तो आग से उतार लें , ठण्डा हो जाने के बाद छानकर शीशी मे भर लें |
सेवन :- १०-१० ग्राम दवा को प्रात:+सायं पिलाएँ | पथरी कट-कटकर बाहर निकल जायेंगी , २५-३० दिन दवा सेवन करें |
+/ केले के फूल का काढ़ा ( २० ग्राम फूल २५० ग्राम पानी में उबालें , चौथाई रहने पर उतार लें) , गुनगुना बनाकर पिलाने से पथरी गल – गलकर निकल जाती है |
+/ अपामार्ग यानी चिरचिरा यानी चिरचिटा यानी ओंघा की जड़ ६ ग्राम को पानी में पिसकर प्रात: व सायं पीने से गुर्दे की पथरी कट-कटकर निकल जाती है |
+/ सफेद प्याज का रस २५ ग्राम , यवक्षार ( जड़ीबुटी के दुकान में मिल जायेगा ) २ ग्राम – दोनों को मिलाकर प्रात: व सायं पिलाने से कुछ ही दिनों में पथरी घुलकर निकल जायेगी , पथरी चाहे गाल ब्लेडर में हो अथवा पित्ताशय में – दोनों के लिए अचूक दवा है |
+/ इन्द्रजौ , काला जीरी , काला नमक , बायबिडंग – चारों को बराबर – बराबर लेकर कूट – कूटकर चूर्ण बना लें , ४-४ ग्राम दवा दिन में तीन बार गुनगुने पानी से लें | पथरी टुकड़े – टुकड़े होकर निकल जायेगी