यजुर्वेद पारायण यज्ञ में मुख्य वक्ता के रुप में उपस्थित हुए राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार ने 18 अप्रैल को “वेद और मानव धर्म” विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने मानव को मानव बनाने के लिए एक पूरा वर्ण=ब्राह्मण वर्ण तैयार किया। विश्व के अन्य देशों के मजहबों ने अपने पंडित=मुल्ला मौलवी पादरी, फादर आदि तैयार किये पर वे व्यक्ति को धार्मिक बनाने के स्थान पर साम्प्रदायिक बनाते गये यह उनकी असफलता रही। उन्होंने अपनी-अपनी साम्प्रदायिक मान्यताएं लोगों में गहराई से बैठाने का प्रयास किया। इसका परिणाम यह हुआ कि सभी संप्रदायों के लोग एक दूसरे के विनाश की योजनाओं में जुट गये। फलस्वरूप एक समय ऐसा भी आया जब विश्व को निरंतर तीन सौ वर्षों तक धार्मिक युद्घों से जूझना पड़ा।
आनंद कुमार ने कहा कि जो लोग मनुष्य को मनुष्य बनाने निकले थे वे उसे मनुष्य न बनाकर हैवान बना बैठे। इससे विदेशियों के ‘एकलव्य’ की साधना असफल हो गयी। ऐसी ही असफलता विश्व के देशों को अन्य क्षेत्रों में भी मिली। जैसे आज के पश्चिमी वैज्ञानिकों ने बनाया तो वायुयान पर उसे बनाते-बनाते लड़ाकू विमान तक ले गये। अब ये विमान हमें तो आकाश में उड़ती हुई मृत्यु नजर आते हैं। कब ये मानवता के विनाश के लिए काल वर्षा करने लगें?-कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
उन्होंने कहा कि भारत के ऋषियों ने प्राचीन काल में मानव को मानव बनाने के लिए मनुर्भव: जनया दैव्यम जन्म अर्थात मनुष्य बनो और दिव्य शक्ति उत्पन्न करो, का आदर्श वेद रूपी संविधान के माध्यम से हमारे समक्ष रखा और यह उद्घोष किया कि मानव बन कर मानवता का कल्याण करो। उसी से मानव जीवन में शांति स्थापित हो सकती है। हमारे ऋषियों का दृष्टिकोण था कि यदि देह रूपी घर में काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ जैसे विकार रूपी शत्रु शांत हो जाते हैं तो लौकिक घर और उसके पश्चात संसार भर में शांति स्थापित करने में सहायता मिल सकती है। आज हमें वेदों के इसी आदर्श को अपनाने की आवश्यकता है। इसके लिए उगता भारत समाचार पत्र की मुहिम निश्चय ही रंग लाएगी, ऐसा मेरा विश्वास है।
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