मोदी ने यह भी कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच ‘शांतिपूर्ण’ और ‘मैत्रीपूर्ण’ संबंध रखने की जरूरत है। इस बीच पाकिस्तान ने आज कराची की एक जेल में बंद भारत के 113 मछुआरों को सद्भावना के तहत रिहा किया। कल बाघा सीमा पर इन मछुआरों को भारतीय अधिकारियों को सौंपा जाएगा।
भारत मानवता के नाम पर ऐसे कदम पिछले 68 वर्ष में कितनी ही बार उठा चुका है। पर 1971 में हुए पाक युद्घ के समय भारत के लगभग ढाई दर्जन युद्घबंदियों को पाकिस्तानी जेलों से छुड़ाने की दिशा में भारत आज तक कोई ठोस कदम नही उठा पाया। यह ठीक है कि दो पड़ोसी देशों के बीच संबंध मैत्रीपूर्ण होने चाहिए, परंतु इसकी जिम्मेदारी अकेले भारत की नही है। पूरे देश के लिए यह शर्म की बात है कि हमारे युद्घ बंदी आज तक पाकिस्तानी जेलों में बंद हैं। पी.एम. मोदी को अपने समकक्ष पाक नेता से कभी उनके बारे में पूछना चाहिए।
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।