तर्ज : दिल के अरमां आंसुओं में बह गए…
जीत लीं यदि इंद्रियां तो भगवान भी मिल जाएगा।
हो गया अधिकार मन पर तो लक्ष्य भी मिल जाएगा।। टेक।।
जो मुनि यहां मोक्ष हेतु हो गया कटिबद्ध है।
जिसने सर्वाधार से निज जोड़ लिया संबंध है।।
बंधन उसके कट गए और मोक्ष भी मिल जाएगा …
जीत लीं यदि इंद्रियां तो भगवान भी मिल जाएगा…..
कर्म , भक्ति, ज्ञान – तीनों योग गीता ने कहे।
शान्तिमय होता है जीवन जो भक्त शिक्षा को गहे।।
भगवान तेरे साथ है तो आसरा मिल जाएगा …
जीत लीं यदि इंद्रियां तो भगवान भी मिल जाएगा…..
श्रद्धा से भजता मुझे जो मैं भी उसके साथ हूँ।
अर्जुन तू भी जान मुझको मैं तो तेरे साथ हूँ।।
यदि देखने भीतर लगा तो ताला भी खुल जाएगा …
जीत लीं यदि इंद्रियां तो भगवान भी मिल जाएगा…..
जड़ के सम माया है सारी , जीव चेतन रूप हैं।
ठीक से सब भेद समझो, कह रहा विश्व -रूप है।।
‘राकेश’ जाना भेद तूने तो ‘वह’ मिल जाएगा ….
जीत लीं यदि इंद्रियां तो भगवान भी मिल जाएगा…..
( ‘गीता मेरे गीतों में’ नमक मेरी नई पुस्तक से)
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत