बला की खूबसूरती की मालकिन यूक्रेन मूल की अमेरिकन एक्ट्रेस #Milla_Jovovich की एक साइंस फिक्शन फ़िल्म थी Resident Evil कई भागों में थी ये…….. ये फ़िल्म एक अलग दुनिया में ले जाती है जहां जॉम्बीज से भरे शहर में कुछ बचे खुचे इंसान खुद को जॉम्बी बनने से बचाने का संघर्ष कर रहे है …. इस कहानी को लिखने वाले थे George A. Romero….!
आप जब फेसबुक पर किसी की भी लिखी कोई कहानी या पोस्ट पढ़ते हैं तो ये तय मानिए बंदे ने उसे कहीं न कहीं उसे देखा, जिया, भोगा है…… कोई कहानी कोरी कल्पना से नहीं लिखी जा सकती……. ये भी होता है जब कोई पुरानी मित्राणी इनबॉक्स में कहती है “कमीने मेरे वारे में मत लिख डालियो…. मेरा पति भी तुझे फॉलो करता है”……. कुल जमा लिखने वाला अपने आसपास से कोई भी कहानी समेट लेता है…!
आखिर ये Resident Evil का कांसेप्ट George A. Romero के दिमाग में किधर से आया होएंगा…….. पता नहीं क्यों पर मुझे लगता है 1400 साल पहले एक रेगिस्तान में बसे शहर और वहां सुरु हुए इंसान को जीवित जॉम्बी बनाने के सिलसिले ने इस कहानी के लिए प्रेरणा का काम किया होगा…..!
फ़िल्म दिखाती है कैसे #अम्ब्रेला_कॉरपोरेशन नाम की एक कंपनी एक प्रयोग के तौर पर T-वायरस नाम के वायरस का उपयोग करती है जो अनियंत्रित हो इंसानों को जॉम्बीज में बदलना चालू कर देता है, इन जॉम्बीज का बस एक ही उद्देश्य है पूरी मानवता को अपने जैसा बनाना……. T-वायरस को फैलाना!!!!
कुछ कुछ यही 1400 साल पहले उस रेगिस्तान में सुरु हुआ था और आज भी जारी है पूरी मानवता उससे लड़ रही है….. खुद को मानव बनाये रखने को ठीक Resident Evil की ऐलिस यानी Milla Jovovich की तरह….!
उन्ह खत्म करो या उनकी तरह जॉम्बी बन जाओ…..!
जैसे George A. Romero सायद इस सब से प्रेरित हो इस कहानी को रच दिए उसी तरह दुनियां भर में बहुत से अन्य लोगों ने अपने अपने अम्ब्रेला कॉरपोरेशन बनाये समय समय पर……. भारत में भी बने … और भारत के सबसे बड़े अम्ब्रेला कॉरपोरेशन का नाम है…..
कांग्रेस…. जिसे उसके मालिकों यानी अंग्रेजों ने भारत में खुद के खिलाफ 1857 जैसी कोई क्रांति दोबारा न हो जिसमें उन्ह जान माल का नुकसान हो के लिए बनाया…. और इसमें जोड़ा कुछ सबसे वफादार भारतीय जॉम्बीज को और फिर उन्होंने “अहिँसा” का नारा लगाती एक पूरी फौज खड़ी कर दी….. टी वायरस से भी तगड़ा फैला कांग्रेस वायरस…… संक्रमित होते ही व्यक्ति सफेद टोपी पहन दूसरों को संक्रमित करने निकल पड़ता….. जैसे ही इनके मालिक को कोई तकलीफ होती तुरंत ये तकलीफ पहुचाने वाले को हिंसक, आतंकी, धर्मांध की उपाधी देकर खत्म कर देते या अपने जैसा बना देते……!
1947 के बाद अंग्रेज़ तो चले गए पर फ़र्क़ बस इतना पड़ा के इस भारतीय अम्ब्रेला कारपोरेशन के मालिक बदल गए इस कारपोरेशन का उद्देश्य पहले जैसा ही रहा भारत को लूटना…. और इसके आत्मा और दिमाग विहीन जॉम्बीज इसके इस कार्य को पूर्ण सुरक्षा देते रहे….. भारत में भारतीयता के लिए भारतीयों के लिए उठी हर आवाज़ को मारते रहे और खुद की संख्या बढ़ाते रहे….. सायद राहुल ने एक बार इसी लिए देश को मधुमक्खी का छत्ता कहा था “हाईव” …. फ़िल्म में भी यही शब्द इस्तेमाल हुआ है….. अपनी रानी और उसके बच्चों के लिए दिन रात सही गलत का सोचे बगैर खटते जॉम्बीज का छत्ता बदले में बस थोड़ा शहद चाटने को भले मिल जाता हो!!!
उस दौर में भी बहुसंख्य लोग वही थे जो ये तो कहते देश को सुभाष जैसा नेता चाहिए था, पटेल प्रधानमंत्री बनने चाहिए थे लेकिन वायरस का असर ऐसा के वोट लेंहडू को ही देते थे, उसके बाद उसकी बेटी, फिर बेटी का बेटा फिर……. मतलब सही गलत कुछ नहीं हमको तो बस वायरस को फैलाना है छत्ते की रानी को पालना बचाना है…… आज भी ऐसे जॉम्बीज की कमीं नहीं है कांग्रेस कॉरपोरेशन के पास…!
इसके बाद इसी रणनीति को कई अन्य पोलिटिकल पार्टी कम प्राइवेट लिमिटेड ज्यादा ने सफलता से अपनाया……. देश के अलग अलग इलाकों में कई सारी अम्ब्रेला कारपोरेशन खड़ी हो गयीं….. जिन्होंने कभी आर्य-द्रविण, भाषा, जाति, अगड़ा, पिछड़ा, पंडित, बनिया ….. जैसे तमाम तरह के T-वायरस तैयार किये और उन्ह फैला कर अपने जॉम्बी समर्थक जुटाए जो उन्ह सुरक्षा और संसाधन दोनों उपलब्ध करवाने को दिन रात खटते….
और अगर इन्ह अपने बीच कोई इंसान मिल जाता तो या तो उसे भी खुद जैसा भटकता शरीर बनाने का प्रयास करते या खत्म कर देने….
आप अपने आस पास ऐसे तमाम जॉम्बी देख सकते हैं …… अगर एक एक का उदाहरण दूं तो पोस्ट की लंबाई कल्पना से परे होगी….!
अब Resident Evil में T-वायरस का इलाज क्या था याद कीजिये…… दो ही इलाज थे पहला इन्फेक्टेड बंदे को जॉम्बी बनने से पहले ही T-वायरस के काट वाला इंजेक्शन देदो, दूसरा जो जॉम्बी बन चुके हैं उन्ह खोपड़ी में गोली मार दो……!
भारत में भी दो ही इलाज़ हैं एक जो नई पीढ़ी है उसे तगड़ा राष्ट्रवाद का इंजेक्शन दे दो जिससे उसपर कोई जाति, भाषा, फलाना ढिमके का वायरस असर न कर सके,
दूसरा जो जॉम्बी हैं उन्ह सामाजिक, आर्थिक मृत्यु दे दो जिससे वे और जॉम्बीज न बना सकें!
अगर ये नहीं कर सके तो यकीन करें आने वाली पीढ़ी भारतीय, भारत, भारतीयता शब्द न सुन सकेगी, न पढ़ सकेगी…….. यहां सिर्फ अपनी अपनी कॉर्पोरेशन के लिए खटने वाले जॉम्बीज होंगे और उनके छत्ते…. जिनके बीच आराम से बैठ शहद चाटने वाले इनके राजा, रानी और उनके अंडे होंगे…… पर यकीन करें भारत नहीं होगा!