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विशेष संपादकीय

मां बोल उठी-‘जियो मेरे लाल’

किसी व्यक्ति वर्ग या सम्प्रदाय की आलोचना करके या निंदा करके आप उसे छोटा नही कर सकते।  उसे छोटा करने का एक ही उपाय है कि आप अपनी अच्छाइयां लोगों के सामने परोसें और उन्हें अपनी अच्छाइयों का दीवाना बना लें। हिंदुत्व किसी दूसरे में कमियां निकालने की विचारधारा का विरोधी है, वह अपनी अच्छाइयों को परोसकर दुनिया को अपना बनाना चाहता है। यह भारत की पुरातन रीति नीति है।

मोदी ने वही कर दिखाया जो भारत की परंपरा के अनुकूल है। 192 देशों को भारत के योग से जोडक़र जो अद्भुत संयोग मोदी ने बनाया है उसका वियोग कभी हो सकेगा, ऐसा नही कहा जा सकता। कुशल रणनीतिकार का परिचय देते हुए प्रधानमंत्री ने हिंदुत्व की सारी रीति नीति और उत्कृष्टतम जीवन शैली एक ही बार में सारे विश्व के सामने परोस दी। इस रणनीति के समक्ष सारे सम्प्रदाय, देशों की भौगोलिक सीमाएं, लोगों की साम्प्रदायिक मान्यताएं आदि न जाने क्या-क्या छोटे पड़ गये हैं।

यदि आप इस्लाम या इसाइयत की कमियों को गिनाने में लग गये तो आप अपने देश का और अपने समाज का अहित करते रह जाएंगे। बात ऐसी की जाए कि जिससे साम्प्रदायिक मान्यताएं अपनी जगह रहें और हम राष्ट्रीय और राष्ट्रीय से वैश्विक परिवेश बनाकर संपूर्ण वसुधा को अपना बनाने की ओर चल पड़ें। युग-युगों का यह हमारा सपना 21 जून को मोदी ने साकार कर दिया। इसी दिन फादर्स डे भी था। लगा कि संपूर्ण विश्व अपने फादर भारत की ओर लौट रहा है और आज उसे बड़े सम्मान के साथ ‘हैप्पी फादर्स डे’ बोल रहा है। ऐसे शब्दों को सुनकर ऋषि पतंजलि की आत्मा भी प्रफुल्लित हो उठी होगी, जिसके योग्य और योग पुत्रों ने संपूर्ण विश्व में एक प्राणतत्व का बोध करते हुए आज अपनी संस्कृति की छटा संपूर्ण भूमंडल पर बिखेर दी।

मां भारती धन्य हो उठी, मां का आंचल धन्य हो उठा, मां बोल उठी-‘जियो मेरे लाल’।

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