बुद्धिमान लोग धन आदि का नाश नहीं करते : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक
मनुष्य के पास अनेक प्रकार की संपत्तियां होती हैं। धन बल विद्या बुद्धि समय इत्यादि। *”कुछ मनुष्य बुद्धिमान होते हैं, जो हर वस्तु को सोच समझकर खर्च करते हैं। कुछ लोग इतने बुद्धिमान नहीं होते, उनमें बुद्धि या ज्ञान की कमी होने के कारण वे उक्त वस्तुएं यूं ही नष्ट करते रहते हैं।”* बाद में समय आने पर जब उन्हें पता चलता है, कि *”हमने बहुत सा धन बल विद्या ज्ञान समय आदि यूं ही नष्ट कर दिया। हमने बड़ी भूल की।”* तो वे इस प्रकार से पश्चाताप करते हैं, *”चलो जो हो गया, सो हो गया, अब आगे ध्यान रखेंगे, और भविष्य में ऐसी भूलें नहीं करेंगे।”* जो लोग इस प्रकार से गलतियां करके भी सीख जाते हैं। वह भी कुछ अच्छा है। ये लोग उनसे तो अच्छे हैं, जो गलती पर गलती करते जाते हैं, फिर भी नहीं सीखते। पूरा जीवन दुखी ही होते रहते हैं।
परंतु ये गलती करके सीखने वाले भी देर से जागे। इसलिए इन्होंने भी बहुत सी हानियां तो उठाई ही हैं। *”इनकी तुलना में वही लोग अधिक बुद्धिमान एवं सुखी माने जाते हैं, जो गलती करने से पहले ही सावधान कहते हैं। जो विद्वानों, बड़े बुजुर्गों के आदेश निर्देश का पालन करके अनेक प्रकार की हानियों से बच जाते हैं।”*
जो लोग कुछ अधिक धनवान हैं। वे व्यर्थ ही बहुत सा धन आदि का नाश या दुरुपयोग करते रहते हैं। *”परंतु बुद्धिमान लोग धन आदि का नाश या दुरुपयोग नहीं करते। बहुत सोच समझकर अच्छे कार्यों में ही धन आदि को खर्च करते हैं।”* इसी प्रकार से शारीरिक बल विद्या/ज्ञान और समय, ये भी ऐसी ही सम्पत्तियां हैं, जिनका सदुपयोग किया जाना चाहिए, और बुद्धिमान लोग इनका भी सदुपयोग करते हैं। *”जो कम बुद्धि वाले लोग हैं, वे ठीक प्रकार से इन वस्तुओं की देखभाल नहीं करते, और यूं ही व्यर्थ नष्ट करते रहते हैं।”*
ऐसी स्थिति में, *”कुछ वस्तुओं को तो आप आज नष्ट कर सकते हैं, जिनका भविष्य में उपयोग होगा। परंतु भविष्य में काम आने वाली कुछ वस्तुओं का तो नाश आप आज कर ही नहीं सकते। जैसे कि धन बल विद्या इन वस्तुओं का तो आप आज नाश कर सकते हैं, जबकि भविष्य में इन की बहुत आवश्यकता रहेगी। परंतु ‘समय’ एक ऐसी वस्तु है, जिसकी आवश्यकता सदा रहती है, भविष्य में भी रहेगी। फिर भी उस भविष्य में काम आने वाले ‘समय’ को आप आज नष्ट नहीं कर सकते। वह तो सदा सुरक्षित ही रहता है। भविष्य के समय को आज नष्ट करना, सृष्टि नियम के विरुद्ध होने से, संभव ही नहीं है। इसलिए आज आप उसे नष्ट नहीं कर सकते।”*
*”इसे ईश्वर की बहुत बड़ी कृपा ही समझना चाहिए, कि आप धन बल विद्या शक्ति इत्यादि वस्तुओं का आज कितना भी नाश कर लें। फिर भी भविष्य के समय का नाश आप आज नहीं कर पाएंगे। ‘समय’ भविष्य में भी आपका साथ अवश्य देगा। और उस ‘समय’ का सदुपयोग करते हुए, आप भविष्य में नए धन बल विद्या ज्ञान आदि की प्राप्ति फिर से कर सकेंगे। फिर से अपना जीवन सुधार संवार लेंगे।”*
*”ईश्वर की इस सुन्दर व्यवस्था को समझकर ईश्वर का बहुत धन्यवाद करना चाहिए। उसका बहुत आभार मानना चाहिए।”* और सबसे अधिक बुद्धिमत्ता की बात तो यही है, कि *”वर्तमान में भी आप को बहुत सावधान रहना चाहिए, धन बल विद्या ज्ञान और समय आदि वस्तुओं का ठीक-ठीक उपयोग करना चाहिए, जिससे कि आप को भविष्य में पश्चाताप भी न करना पड़े।”*
—– *स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, रोजड़, गुजरात।*
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।