चीन के चाल-चरित्र को समझना होगा
चीन के पाकिस्तान के साथ भारत के विरूद्घ कैसे संबंध हैं, इसकी बानगी चीन समय-समय पर दिखाता रहता है। वह अपने आचरण और व्यवहार से यह स्पष्ट करने में तनिक भी नही चूकता है कि भारत से पहले उसके लिए पाकिस्तान है। संयुक्त राष्ट्र में चीन ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी को रिहा करने वाले पाकिस्तान पर कार्रवाई की मांग वाले प्रस्ताव को रोककर भारत को बेहद करारा झटका दिया। एक्सपट्र्स के मुताबिक भारत के सामने अब एक ही विकल्प बचा है। वह यह है कि अगर यूएन के वे स्थायी सदस्य, जिनके नागरिक 26/11 के हमले में मारे गए हैं, ऐतिहासिक पहले करते हुए यह मामला यूएन में ले जाएं। लेकिन यह करीब-करीब नामुमकिन माना जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। चीन ने लखवी की रिहाई को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग संबंधी भारत के कदम को रोक दिया था।
समिति के मौजूदा प्रमुख जिम मैकले को लिखे पत्र में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अशोक मुखर्जी ने पिछले महीने कहा था कि पाकिस्तानी अदालत द्वारा रिहा किया जाना 1267 संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव का उल्लंघन है। प्रतिबंध संबंधी कदम अलकायदा और लश्कर-ए-तैयबा सहित आतंकवादी संगठन से संबंधित व्यक्तियों और इकाइयों पर लागू होता है।
समिति में संयुक्त राष्ट्र के पांचों स्थायी देश और 10 अस्थायी देश होते हैं। लखवी की रिहाई को लेकर अमेरिका, रूस, फ्रांस और जर्मनी में चिंता जताई गई थी और उसकी फिर से गिरफ्तारी की मांग की गई थी। मुंबई हमले को लेकर लखवी और छह अन्य लोगों को पाकिस्तानी में अभियुक्त बनाया गया। पाकिस्तान की एक अदालत ने बीते नौ अप्रैल को लखवी को रिहा किया था। चीन के सामने सारी स्थिति साफ है परंतु फिर भी उसे पाकिस्तान भारत से अधिक प्यारा है। इस गठबंधन को भारत अपनी अखंडता के लिए सबसे बड़ा खतरा समझे और इसके प्रति सावधान रहकर अपनी विदेश नीति और रक्षानीति का निर्धारण करे, तो ही अच्छा होगा, हम एक चोट खा चुके हैं, और चोट खाना सबसे बड़ी मूर्खता होगी।