यशवंत सिन्हा की बेतुकी चिल्ल पौं
परिवर्तन प्रकृति का नियम है। यथास्थितिवाद किसी भी स्थिति-परिस्थिति में प्रकृति को स्वीकार्य नही है, फिर यह मानव समाज को ही स्वीकार्य क्यों होगा? बेटा पिता से अधिकार प्राप्त कर लेता है, और फिर एक दिन आता है कि जब पिता स्वयं पीछे हट जाता है और बेटे को आगे बढ़ा देता है। यह सहज नियम कुछ लोगों को देर तक समझ नही आता, उन्ही में से एक हैं वरिष्ठ भाजपा नेता और वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा, जो कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी किए जाने से नाराज हैं। उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं।
सिन्हा ने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा, मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से भाजपा में 75 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया है। यशवंत सिन्हा वित्त राज्य मंत्री और भाजपा सांसद जयंत सिन्हा के पिता हैं। सिन्हा ने मोदी सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम पर भी सवाल उठाए।
श्री सिन्हा को शिकायत है कि मोदी को पहले मेक इन इंडिया फस्र्ट भारत बनाना चाहिए, बाकी सब इसके बाद हो जाएगा। मेक इन इंडिया से पहले सरकार को हेवी इक्वीपमेंट्स पर ड्यूटी घटानी चाहिए, जिससे हाईवे, सडक़ और भवन निर्माण में तेजी आए। हाईवे निर्माण में तेजी आने के बाद से मेक इन इंडिया का मतलब साकार होगा। सिन्हा ने कहा कि सरकार संसद के मानूसन सत्र में महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा कर कामकाज को आगे बढ़ाए। अब सवाल है कि जब यशवंत सिन्हा के हाथ में समय की बागडोर थी तब उन्होंने ऐसा क्यों नही किया? अब समय हाथ से खिसक गया है और समय की गद्दी पर दूसरे लोग आ बैठे हैं, तो यह बेकार की चिल्ल पौं करने से क्या लाभ? अच्छा हो कि श्री सिन्हा समय को पहचानें और गंभीरता का परिचय दें।
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।