अजय कुमार
भटके हुए यह नौजवान कभी भी भारत या किसी भी देश के लिए बड़ा खतरा बन जाते हैं। इन भटके हुए नौजवानों का कुसूर इतना मात्र होता है कि यह धर्म को लेकर सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा कर बैठते हैं। इनको बताया जाता है कि इस्लाम को न मानने वाले काफिर हैं।
धर्म एक ऐसा सच है, जो हर इंसान के जीवन में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। धर्म की कई शाखाएं हैं, लेकिन सबकी मंजिल एक है। कोई राम कहे या रहीम, गीता पढ़े या कुरान या फिर यीशु मसीह अथवा गुरु नानक देव जी को माने और बाइबिल एवं गुरुग्रंथ पढ़े। किसी भी धर्म की ‘रोशनी’ में मानव सभ्यता और देश-दुनिया का भला किया जा सकता है। यह अटल सत्य है, लेकिन इसके उलट सच्चाई यह भी है कि आप जितनी भी धार्मिक प्रवृति के क्यों न हों, लेकिन उसको आप स्वयं की बजाए दूसरों के सहारे समझने की कोशिश करेंगे तो किसी को भी अहमद मुर्तजा (गोरखनाथ मंदिर पर हमले का आरोपी) बनते देर नहीं लगती है। अक्सर ही ऐसे ‘मुर्तजाओ’ के नाम सुर्खियां बटोरते रहते हैं। ऐसे भटके और गुमराह मुर्तजा कभी लखनऊ में प्रेशर कुकर से बम विस्फोट की साजिश रचने वाले अल कायदा आतंकवादियों मसरुद्दीन और मिनहाज अहमद के रूप में सामने आते हैं तो कभी सहारनपुर जिले के देवबंद से।
भटके हुए यह नौजवान कभी भी भारत या किसी भी देश के लिए बड़ा खतरा बन जाते हैं। इन भटके हुए नौजवानों का कुसूर इतना मात्र होता है कि यह धर्म को लेकर सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा कर बैठते हैं। इनको बताया जाता है कि इस्लाम को न मानने वाले काफिर हैं। इन लोगों को बताया जाता है कि इस्लाम के लिए जेहाद छेड़ने वालों को जन्नत में तमाम हूरों का साथ मिलता है। ऐसे पथ भ्रष्ट लोगों की गलती इतनी मात्र होती है कि यह यह अपने धर्म को स्वयं पहचानने की बजाए दूसरों के नजरिए से पहचानते हैं। गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात सिपाहियों पर जानलेवा हमला करने का आरोपी अहमद मुर्तजा अब्बासी भी इसी गलतफहमी का शिकार था कि हिन्दुस्तान में मुसलमानों के साथ काफी अत्याचार किया जा रहा है।
तमाम अधकचरी जानकारियों ने मुर्तजा को इतना खतरनाक बना दिया था कि वह जिहाद की नर्सरी तैयार करने में जुट गया था। पुलिस की गिरफ्त में आने से पहले तक मुर्तजा ने कई बैंक खातों में रुपये भेजकर फंडिंग मुहैया कराई थी। यह तथ्य सामने आने के बाद एजेंसियों ने जांच तेज कर दी है। यह भी पता चला है कि मुर्तजा ने डॉलर से विदेशी सिम खरीदा था, जिसका इस्तेमाल वह प्रतिबंधित वेबसाइट्स को सर्च करने में किया करता था। इस खुलासे के बाद एटीएस टीम गोरखपुर की कोर्ट से वारंट बी और रिमांड हासिल कर मुर्तजा को लेकर लखनऊ आ गई। अब लखनऊ में मुर्तजा से पूछताछ चल रही है। जानकारी के मुताबिक, मुर्तजा के पकड़े जाने के बाद से ही एटीएस, एसटीएफ और पुलिस मामले की जांच कर रही है। प्रतिदिन इसके बारे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। एटीएस और एसटीएफ के सूत्रों के मुताबिक, जांच में पता चला है कि डॉलर का इस्तेमाल कर मुर्तजा ने विदेशी सिम खरीदा था।
इसकी मदद से ही वह प्रतिबंधित वेबसाइट पर सर्च कर जिहादी वीडियो देखा करता था। मुर्तजा के पास से नेपाली करेंसी के साथ डॉलर भी मिला है। यह भी सामने आया है कि कई खातों में वह रुपये भेजा करता था। नौकरी के दौरान जो भी पैसे जुटाए, उसे जिहाद की नर्सरी तैयार करने में ही खर्च कर दिया है। नेपाल के बैंक खातों के जरिए करीब आठ लाख रुपये सीरिया के अलग-अलग बैंक खातों में भेजे गए हैं। नेपाल के अलावा विदेशों में उसके खाते संचालित होने की खबर पर जांच तेज कर दी गई है।
गौरतलब है कि तीन अप्रैल को मुर्तजा ने गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात सिपाहियों पर धारदार हथियार से हमला कर दिया था। आरोपी को मौजूद लोगों की मदद से पुलिस ने पकड़ लिया था। उसकी पहचान पार्क रोड, सिविल लाइंस स्थित निवासी मुर्तजा अब्बासी के रूप में हुई थी। कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि मुस्लिम समाज के प्रतिष्ठित धर्मगुरु और बुद्धिजीवी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें और ऐसे मौलानाओं और जिहादियों के खिलाफ अपनों के बीच जागरूकता फैलाएं ताकि बहकावे में आकर यह लोग ऐसा कोई काम ना करें जिससे उनका तथा उनके परिवार का नुकसान हो। इसके लिए मुस्लिम समाज में शिक्षा का स्तर बढ़ाना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी युवाओं को यह बताना भी जरूरी है कि सही और गलत क्या है ताकि भविष्य में और मुर्तजा नहीं पैदा हों।