क्या होती है अजान की असली भाषा ?
उगता भारत ब्यूरो
सर्वप्रथम मुअज्जिन 4 बार ‘अल्लाह हू अकबर’ यानी अल्लाह सबसे बड़ा है, कहता है।
इसके बाद वह 2 बार कहता है- ‘अशहदो अल्ला इलाह इल्लल्लाह’ अर्थात मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवाय कोई पूज्य नहीं है।
फिर 2 बार कहता है- ‘अशहदु अन-ना मुहम्मदर्रसूलुल्लाह’ जिसका अर्थ है- मैं गवाही देता हूँ कि हजरत मुहम्मद अल्लाह के रसूल (उपदेशक) हैं।
फिर मुअज्जिन दाहिनी ओर मुँह करके 2 बार कहता है- ‘हय-या अललसला’ अर्थात् आओ नमाज की ओर।
फिर बाईं ओर मुँह करके 2 बार कहता है- ‘हय-या अलल फलाह’ यानी आओ कामयाबी की ओर।
इसके बाद वह सामने (पश्चिम) की ओर मुँह करके कहता है- ‘अल्लाह हू अकबर’ अर्थात अल्लाह ही एकमात्र सबसे बड़ा है।
अंत में एक बार ‘ला इलाह इल्लल्लाह’ अर्थात् अल्लाह के सिवा कोई भी पूज्य नहीं है।
फजर यानी भोर की अजान में मुअज्जिन एक वाक्य अधिक कहता है- ‘अस्सलात खैरूम मिनननौम’ अर्थात नमाज नींद से बेहतर है।
उसके बाद मोहम्मद के बताए हुए रास्ते कुरान में से बताए जाते है।
जिसमे जिहाद सबसे अहम है और उसके द्वारा गजवा ए हिन्द के तरीके बताए जाते हैं।
*अब कुछ सवाल-:*
भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में क्या इस तरह से लाउडस्पीकर पर दूसरे धर्मों के मानने वालों की भावनाओं को ठेस पहुंचाया जा सकता है ?
धर्म निरपेक्ष देश में क्या कोई यह कह सकता है कि सिर्फ अल्लाह ही एकमात्र पूज्य है ? ?
दूसरे कोई पूज्य नहीं है??
क्या अजान एक धर्मनिरपेक्ष देश में जायज़ हैं ?
क्यों नहीं ये तत्काल बंद होनी चाहिये ?
जब इससे हम हिंदुओं की भावनायें आहत होती है।
कुछ भी करो पर हर सनातनधर्मी को ये पोस्ट जरूर सनातन हिन्दू समाज तकफैलानी होगी ताकि वह इस का मतलब समाज सकें। अब फैसला सभी सनातनी हिन्दुओं को ही करना है,क्योंकि गुलाम पैदा होना आपकी किस्मत हो सकता है लेकिन क्या गुलामी में मरना आपकी कायरता, अकर्मण्यता नहीं कहलायेगा ? ?
(साभार)