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कविता

गीता मेरे गीतों में गीत : संख्या — 8, निष्काम कर्म करके चलना

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निष्काम कर्म करके चलना ……

तर्ज : होठों से छू लूँ तो ……

योगी    श्री  कृष्ण   ने   हमें  मार्ग  बताया  है।
निष्काम   कर्म  करके  चलना  सिखलाया है।।

यदि   जीवन  के  मार्ग    में  अवरोध कहीं आए।
ना  निराश कभी  होना चाहे मुश्किल जो आए।।
समभाव  बरतना  है, उपदेश  बताया  है …..
योगी    श्री  कृष्ण   ने   हमें  मार्ग  बताया  है…

जीवन  है   दो   दिन   का मत  व्यर्थ  इसे खोना।
हँस – हँस  के चलना है,  कहीं  व्यर्थ  नहीं रोना ।।
प्रचण्ड रखो ज्योति,   ह्रदय   में   जलाया है …..
योगी    श्री  कृष्ण   ने   हमें  मार्ग  बताया  है…

संसार –  समर  में  तुम,  एक  योद्धा  बन रहना।
संघर्ष  करो  जमके,  मत  शिकवों  को  कहना।।
दृष्टि  लक्ष्य  पर  हो ,  जहाँ  ध्यान लगाया है …..
योगी    श्री  कृष्ण   ने   हमें  मार्ग  बताया  है…

यहाँ  कोई  नहीं  अपना,  एक  धर्म  ही  साथी  है।
मंजिल  है  दूर  अपनी और  सफर  भी  बाकी  है।।
‘राकेश’  गीत  गा  ले,  ह्रदय  से  बनाया  है …..
योगी    श्री  कृष्ण   ने   हमें  मार्ग  बताया  है…

( ‘गीता मेरे गीतों में’ नमक मेरी नई पुस्तक से)
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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