शहीद रामप्रसाद बिस्मिल का जीवन प्रेरणा बन सकता है उन हजारों लाखों भारत के नव युवको के लिए जो नशे धूम्रपान की गिरफ्त में फंसे हुए हैं..|
राम प्रसाद बिस्मिल को किशोरावस्था में घर से पैसे चुराने सिगरेट पीने भांग पीने तथा *उपन्यास पढ़ने जैसी कई बुरी आदतें लग गई थी छठी जमात में कई बार फेल भी हुए| 1 दिन में 50 60 *सिगरेट* भी जाया करते थे उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है.. एक बार नशे के लिए पिताजी के संदूक से पैसा चुराते हुए पकड़े गए पिता ने बहुत बेरहमी से मार लगाई थी|
उनके घर के पास ही आर्य समाज मंदिर था ईश्वर कृपा से वहां के श्री मुंशी इंद्रजीत जी के संपर्क में आए उन्होंने उन्हें व्यायाम करने ब्रह्मचर्य पालन का उपदेश दिया *महर्षि दयानंद सरस्वती का क्रांतिकारी ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश दिया जिसे पढ़कर उनका जीवन ही बदल गया सारे दोष छूट गए वे लिखते हैं सत्यार्थ प्रकाश के अध्ययन ने मेरे जीवन के इतिहास में एक नवीन पृष्ठ खोल दिया यहां से उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा सदैव कक्षा में प्रथम आते रहे | वह कट्टर आर्य समाजी बन गए आर्य समाजी क्रांतिकारी विद्वान *स्वामी सोमदेव* के संपर्क में आए उनको अपना गुरु मानकर उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल को राजनीतिक उपदेश दिया स्वदेश हित में क्रांतिकारी बनने की प्रेरणा दी | 30 वर्ष आयु जीने वाले क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल नित्य प्रतिदिन वैदिक संध्या व हवन करते थे यह सिलसिला उनका जेल में भी जारी रहा इतना ही नहीं अपनी फांसी के कुछ घंटे पूर्व उन्होंने संध्या हवन जेल में किया था..|
अब आप समझ गए होंगे आर्य समाज को लाला लाजपत राय से लेकर भाई परमानंद ,बिस्मिल जैसे असंख्य वीर बलिदानीयों क्रांतिकारियों ने अपनी माता व ऋषि दयानंद को अपना पिता क्यों कहा था..|