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अन्य कविता

नहरें

नहरें

नहरें हमको पानी देकर, सबकी प्यास बुझाती हैं।
इनका पानी पीकर ही तो, फसलें भी लहराती हैं।

चंदा मामा

पापा! हम भीचंदा मामा, से मिलने को जाएंगे।
आसमान की सैर करेंगे, तोड़ के तारे लाएंगे।

साईकिल

पापा! एक साईकिल ला दो, उस पर पढऩे जाएंगे।
छुट्टी वाले दिन पार्क में, उसको खूब चलाएंगे।

-धर्मेन्द्र गोयल

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