जब देश पुकारे
भारत के नौजवान, ऐ गांधी सुभाष की संतान,
जब देश पुकारे जगना है, हिम्मत कर आगे बढऩा है।
1. भ्रष्टाचार का जब बोल बाला हो, सत जन का मुंह काला हो।
नेताओं में मंत्रिपद की सौदेबाजी हो, दलालों का बोलबाला हो।।
यश-अपयश की बात नही, देश धर्म की बात नही।
अपनी कुर्सी अपना पेट नेताओं की बात यही।।
भारत को सम्मान दिलाने राह दिखाने राह बनाने।
जब देश पुकारे जगना है, हिम्मत कर आगे बढऩा है।।
2. न्याय व्यवस्था का क्या कहना लूट पाट का राज है,
दिन दोपहर, बाजार सडक़ पर कत्लेआम का साज है।
ट्रक बस तो बदनाम ये पहले अब मौत बांटती बाइक है,
पुलिस हुई नाकाम निर्दयी, न किसी को अब ये लाइक है।।
एक नया विश्वास जगाने राह बनाने राह दिखाने
जब देश पुकारे जगना है, हिम्मत कर आगे बढऩा है।।
3. मंत्री पद की शपथ ले रहे डाकू कातिल और व्यभिचारी,
देश का भला कैसे हो? जब मंत्री, पुलिस हों अत्याचारी।
चुनाव लड़ रहे जेलों से डाकू शातिर शासन के संरक्षण में,
बेहतरी की बात क्या खाक करे जब मंत्री पद से शर्तों में।
जीवन शुचिता स्वच्छ प्रशासन, अलख जगाने राह दिखाने,
जब देश पुकारे जगना है, हिम्मत कर आगे बढऩा है।।
4. अब बेटी भी नही सुरक्षित गरीब मां बाप की लाचारी,
बलात्कार सरे राह हो रहे, आजाद घूम रहे व्याभिचारी।
गरीब असहाय की मासूम बेटियां शुभ मिलीं फांसी पर लटकी,
सरकार पुलिस की मिलीभगत मुंह खोला तो सांसें अटकी।
जन जन में विश्वास जगाने लाज बचाने, जान बचाने
जब देश पुकारे जगना है, हिम्मत कर आगे बढऩा है।।
– सुरेश चंद नागर