भारत का नाम हिट लिस्ट में क्यों ?
नीतू सिंह की कलम से
विश्व में कहीं भी इस्लाम का आंतकवाद होता है, उनकी हिट सूची में भारत का नाम अवश्य होता है। पाक आंतकवादियो का तो जन्मजात अधिकार है, पर अभी वर्तमान में इराक जो आंतकवादियों का खेल चल रहा है. उनकी हिट लिस्ट में भी भारत का नाम है इससे पहले देखे लादेन आंतकवादी मुखिया की हिट लिस्ट में भी भारत का नाम था।
कहने को तो इन सपोलों को अमेरिका ने पाला था जब इन ने अत्यंत क्रूर नर संहार किया और अफ़ग़ानिस्तान में महात्मा बुद्ध की तीन अति प्राचीन मूर्तियों को तोड़ा था, परंतु जैसी करनी वैसी भरनी के आधार जब इन ने साँप बनकर मूर्ति जैसी तीन विशाल बहुमंजिला भवनों को हवाई जहाज से उड़ाया था, तब उसने इन साँपो को कुचल ही डाला और यह भारत की नजर से अच्छा ही हुआ.भारत तो उसका एक बाल भी नही उखाड सकता था. अमेरिका ही क्यो अन्य देशो में भी इस्लाम के धर्म अपने कानूनो की सीमायों मे रखते है. फ़्राँस देश ने जहा मुसलमानो की बुरके जैसी प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया है तो चीन ने रमज़ान महीने के रोज़ा रखने पर प्रतिबंध लगा दिया है और अपने एक राज्य झिझयांग के मुसलमानो को अपने कानूनी दायरों मे रखकर उनके अलगाव जैसे विचारो को पूरी तरह कुचल देता है इतना करने पर भी किसी भी आंतकवादी की हिट लिस्ट में तो नाम दूर ,पाक. जैसे आंतकवादी देश तो उनके सदैव चरण चुंबन करते रहते है. तब भारत ही क्यो इन आंतकवादियो की हिट लिस्ट में आता है, जबकि इस्लाम व उसके अनुयायी को भारत में अन्य देशों के सापेक्ष देखा जाए तो यह उनके लिए जन्नत है।
भारत ही ऐसा देश है इनके मतलब के लिए इस्लाम शरीयत जैसे कानून बनाए जाते है पर शरीयत के कानून इनके किये अपराधों पर लागू नही होते है इनकी चूहो जैसी बढ़ती आबादी से होती खस्ता हालात को ठीक करने के लिए अल्पसंख्यक वर्ग की सुविधा, आरक्षण जैसी अनेक सुविधाएँ अनेक अन्य वांछित वर्ग को नजरअंदाज करके दी जाती है जब इतनी सुविधाएँ सभी देशों के सापेक्ष भारत मे इनको दी जाती है तब भी भारत का नाम क्यों आंतकवादियों की हिट लिस्ट में रहता है ? इसका प्रमुख कारण लगभग सभी देशों व आंतकवादियो की नजर में भारत एक कायर देश के साथ यहा की बहुसंख्यक हिन्दू जनता जो धर्म व संस्कृति के नाम पर जो बाजारीकरण के प्रभाव में अपने स्वार्थ जहा झूठे ही सधने के अवसर हो उसी की ओर लालच के वशीभूत होकर उसी को भगवान मानकर पूजने लगती है चाहे वह कितना भी द्रोही ना हो, क्योकि इनकी नजर में भगवान की चापलूसी या मात्र प्रसाद की भेट देकर या उस परम शक्ति की आंख मे धूल झॉकना ही उसकी पूजा है. तब यहा पर जातिवाद में अपनी सुरक्षा व बाबावाद में अपने अपने भगवान के कारण विभिन्न मतों में विभक्त कायर हिन्दू जनता इन के विदेशी धर्म व संस्कृति के लिए एक अच्छी शिकारगाह है. इसमें भी तीन वर्ग बन जाते है एक तो विदेशी धन पर पलते मीडिया के भाँड, दूसरे अपनी अपनी जाति के नेता अपनी जाति के साथ इनको अपने संग मिलाने के लिए सेक्युलर टोपियाँ, तीसरा वर्ग जो मात्र भेड़की तरह वर्तमान तक अपने अपने स्वार्थ तभी तो इस्लाम पर कही भी कुछ हो पर सभी को इस्लाम खतरे में भारत मे आने के कारण सभी की हिट लिस्ट में भारत का नाम पहले आता है भारत की स्थिति इन आंतकवादियों के लिए तो गरीब की लुगाई, गाव की भौजाई जैसी है.किसी भी आंतकवादी वर्ग की इतनी हिम्मत नही है रोज़े जैसे पाक दिनो पर प्रतिबंध लगाने वाले चीन को अपनी हिट लिस्ट मे रखे या बुरके पर फ़्राँस मे प्रतिबंध हटाने की मन्नत करे की ,पर उन सभी को भलीभांति मालूम है ऐसा करने पर लादेन जैसी जन्नत मिलती है.पर उनकी जन्नत का मार्ग तो भारत की बहुसंखयक् कायर हिन्दू भेड़ों की कुर्बानी से मिलता है और उनको इतनी भेड़े कहा मिलेगी ? तभी तो सभी आंतकवादियो की नजर में पहले यह सोने की चिड़िया थी तो अब जन्नत का द्वार।