बाबू जगजीवन राम की आज जयंती के रूप में हम उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं । बाबू जगजीवन राम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और उसके पश्चात की राजनीति के एक महान नक्षत्र हैं। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत के लोगों ने बड़े नेताओं को भी जाति बिरादरी में बांट लिया है। इससे नेताओं के महान कार्य धूमिल या ओझल हो जाते हैं और जिस प्रकार उन्हें सर्व समाज की मान्यता और सम्मान प्राप्त होना चाहिए वह नहीं मिलता। अच्छा हो कि हम अपनी राष्ट्रीय नेताओं को केवल राष्ट्रीय नेता की नजर से ही देखें। नेताओं को जाति बिरादरी के दृष्टिकोण से देखने से हमारी राष्ट्रीय और सामाजिक एकता कमजोर पड़ती है। इसलिए बाबू जी के जन्म दिवस के इस पवित्र अवसर पर हमारी सभी देशवासियों से अपील है कि वे उन्हें सर्व समाज के नेता के रूप में स्थापित करने की दिशा में सकारात्मक कार्य करें।
यदि बाबूजी के जीवन का हम अवलोकन करें तो पता चलता है कि उन्होंने केवल निर्बल वर्ग के या दलित, शोषित, उपेक्षित समाज के लिए ही काम नहीं किया था उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात विभिन्न मंत्रालयों में काम करके पूरे देश के लिए कार्य किया। विभिन्न मंत्रालयों में जिस प्रकार उन्होंने कर्तव्यनिष्ठा से राष्ट्र के लिए समर्पित होकर कार्य किया वह एक शानदार इतिहास है। जिस पर निष्पक्ष होकर उनका मूल्यांकन किया जाना समय की आवश्यकता है।
ऐसे में बाबू जगजीवन राम जी को केवल दलितों के लिए काम करने वाले नेता के रूप में देखने से उनके ऐतिहासिक और महान कार्यों की उपेक्षा हो जाती है । वे एक जाति के दायरे तक सीमित हो जाते हैं। जिससे लगता है कि वह स्वयं भी संकीर्ण मानसिकता वाले रहे , जबकि उनके साथ ऐसा नहीं था। ऐसे संकीर्ण दायरे में उन जैसे महान व्यक्तित्व को सीमित करना उनके साथ अन्याय करना है।
बाबू जगजीवन राम का जन्म 1908 में आज ही के दिन सासाराम, बिहार में हुआ था।19 अक्टूबर 1935 को पहली बार दलितों के लिए मतदान के अधिकार की मांग की थी ।वे 1936 में बिहार विधान परिषद के सदस्य मनोनीत हुए । बाबू जगजीवन राम ने भारत के स्वाधीनता आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था। आजादी के बाद 1952 से 1984 तक लगातार सांसद चुने गए। सबसे लंबे समय तक करीब 30 साल केंद्रीय मंत्री रहे। तीन दशक के अपने इस राजनीतिक दौर में उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों के माध्यम से देश की सेवा की।
बाबूजी सबसे पहले देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर नेहरू के मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे। उसके पश्चात इंदिरा गांधी के शासनकाल में भी वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में विभिन्न मंत्रालयों के दायित्व संभालते रहे। अंत में जनता पार्टी सरकार में उन्हें प्रधानमंत्री का दायित्व दिया गया था।
उन्होंने श्रम, कृषि संचार रेलवे और रक्षा जैसे अनेक चुनौतीपूर्ण मंत्रालयों का चुनौती भरा दायित्व संभाला। उन्होंने श्रम के रूप में मजदूरों की स्थिति में आवश्यक सुधार लाने और उनकी सामाजिक आर्थिक सुरक्षा के लिए विशिष्ट कानून के प्रावधान किए। उनके किए गए ऐसे सुधारों को आगे की सभी सरकारों ने मान्यता प्रदान की है यहां पर यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि उन्होंने इस प्रकार के जो भी कार्य किए वह केवल दलितों के लिए नहीं बल्कि देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए थे ।
6 जुलाई 1986 को उनका देहांत हुआ ।जिस विभाग के वह मंत्री रहे उस विभाग को उन्होंने आत्मनिर्भर बनाने में तथा भारत के गौरव को बढ़ाने में अभूतपूर्व योगदान दिया।
बाबू जी को शत शत नमन।
देवेंद्र सिंह आर्य
चेयरमैन : उगता भारत
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।