धूमधाम से मनाया गया वैदिक नव संवत्सर व आर्य समाज का 148 वाँ स्थापना दिवस**

IMG-20220402-WA0037

🚩

दादरी। आर्य प्रतिनिधि सभा  गौतम बुद्ध नगर  के तत्वाधान में ग्राम पल्ला में वानप्रस्थी देव मुनि  जी के पैतृक आवास में स्थित देवालय के पवित्र परिसर में वैदिक हिंदू नव वर्ष विक्रमी संवत 2079  तथा आर्य समाज का 148 वां स्थापना दिवस संवत्सर  परक मंत्रों से किए गए विशेष यज्ञ वैदिक विचार गोष्ठी के रूप में मनाया गया।
  वैदिक विचार गोष्ठी का शुभारंभ आर्य  जगत की  ब्रह्मवादिनी सन्यासिनी साध्वी प्रज्ञा के उद्बोधन से शुभारंभ हुआ। उन्होंने पंच   महायज्ञ की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मातृशक्ति यदि जागृत हो जाए तो संतानों का उत्तम निर्माण होता है *माता निर्माता भवति* है।  साध्वी प्रज्ञा जी ने कहा इस नंववर्ष पर हमें प्रेरणा लेते हुए महर्षि दयानंद आर्य समाज की विचारधारा जो  वेदों की विचारधारा है को घर-घर तक प्रसारित करने का संकल्प लेना चाहिए।

मास्टर ज्ञानेंद्र आर्य ने भी वैदिक विचार गोष्ठी में आर्य समाज से जुड़कर अपने लाभान्वित होने अपने अनुभव को साझा किया। आचार्य  दुष्यंत  ने कहा कि वेद विद्या का प्रचार सर्वोपरि प्राथमिकता  होनी चाहिए विद्या का दान सर्वोत्तम दान है । उन्होंने कहा कि *क्रनवन्तो विश्वमार्यम्* का उद्घोष गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था से ही पूरा हो सकता है। योग शिक्षक मास्टर प्रताप आर्य जी ने कहा कि हमें घर-घर तक योग आयुर्वेद की विचारधारा को भी पहुंचाना चाहिए। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है जब हम स्वस्थ होंगे तभी हम धार्मिक चिंतन कर पाएंगे, समाज को कुछ दे पाएंगे।
आर्य कमल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें दैनिक यज्ञ सन्ध्या  को पूरी श्रद्धा नियमितता से करना चाहिए ।साथ ही नए लोगों को आर्य समाज से जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें यज्ञ की क्रिया विधि को सरलता से प्रस्तुत करना चाहिए नए लोगों को विनम्र भाव से यज्ञ करने कराने का प्रशिक्षण देना चाहिए।
  प्रधानाचार्य नरपत ने कहा कि ऋषि दयानंद का यह देश सदैव ऋणी रहेगा ऋषि  ना होते तो नारियों की दशा नहीं सुधरती। मातृशक्ति के लिए ऋषि दयानंद ने बहुत उलेखनीय कार्य किए। उन्हें पढ़ने पढ़ाने का अधिकार दिलाया। सम्मानित  जीवन प्रदान किया । दयानंद वेद उद्धारक ही नहीं नारी जाति के भी उद्धारक  थे। आर्य प्रतिनिधि सभा के मंत्री मूलचंद आर्य  ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें आज के दिवस को विशेष प्रचारित करना चाहिए। युवा पीढ़ी अपने उद्देश्य से भटक गई है।  कार्यक्रम में विशेष तौर पर आमंत्रित नवयुवक सन्यासी प्राण देव   ने कहा कि उन्होंने कानपुर में रात्रि प्रवास के दौरान एक ऐसी हाईली क्वालिफाइड M-tech इंजीनियरिंग पास आउट मल्टीनेशनल कंपनी में कार्य करने वाली युवती को पागलों की तरह चीखते चिल्लाते सुना जिसने अपने मां-बाप तथा बहन को कोरोना महामारी में खो दिया था । उच्च शिक्षित होने के बावजूद भी वह अवसाद से नहीं बच पाई । दुखद परिस्थिति का मुकाबला नहीं कर पाई।  यदि वेद का चिंतन वैदिक विचारधारा उसके पास होती तो आज उसकी ऐसी दुखद अवस्था ना होती। हमें वैदिक विचारधारा जो मनुष्य को सहनशील तपस्वी बनाती है ।
  देव मुनि जी ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि ग्राम पंल्ला हमारा परिवार आप सभी महानुभावों का आभारी है। आपने आज के इस ऐतिहासिक दिवस नव वर्ष के कार्यक्रम को हमारे गांव आवास पर आयोजित किया। अंत में वेदों के मर्मज्ञ  विद्वान पूज्य आचार्य विद्या देव  ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि सृष्टि का इतिहास वेदों का इतिहास समानांतर है। वैदिक संस्कृति दुनिया की सर्वाधिक प्राचीन संस्कृति है जो पूरी वैज्ञानिकता से युक्त है। दुनिया का कोई वैज्ञानिक कोई भी तार्किक व्यक्ति इसमें अपूर्णता कमी नहीं निकाल सकता। कार्यक्रम का संचालन आर्य प्रतिनिधि सभा के कोषाध्यक्ष आर्य सागर खारी ने किया। इस अवसर पर सैकड़ों धर्म संस्कृति प्रेमी भद्र पुरुष मातृशक्ति उपस्थित रही कुछ का नाम उल्लेख इस प्रकार है…. बेगराज आर्य , प्रधान मांगेराम आर्य , बाबूराम आर्य हाजीपुर अनार आर्य , जयप्रकाश आर्य, जीता आर्य महाशय  किशन लाल आर्य तथा विनोद, ब्रहम पंडित, देवेंद्र वर्मा, पंडित महेंद्र आर्य , पंडित धर्मवीर शर्मा,अनिल आर्य, भूदेव आर्य, भूप सिंह आर्य, बिजेंदर आर्य, प्रेमचंद आर्य, स्वराज महाशय जी ओम मुनि जी, बलवीर प्रधान, हंरस्व रूप महाशय , जय सिंह आचार्य राजेंद्र आर्य , रोहतास आर्य, जयंती मास्टर आदि अनेकों अनेक महानुभाव उपस्थित रहे।
आर्य सागर खारी✍✍✍

Comment: