डॉ0 वेद प्रताप वैदिक
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फतवों पर एक जबरदस्त फतवा जारी कर दिया है। उसने फैसला दिया है कि दारुल कज़ा, दारुल इफ्ता और निज़ामे-कज़ा जैसी मजहबी संस्थाओं द्वारा जारी किए गए फतवों का कोई कानूनी महत्व नहीं है। इन संस्थाओं द्वारा जारी किए गए फतवों को मानने के लिए भारत के किसी भी मुसलमान को मजबूर नहीं किया जा सकता। कई मुस्लिम देशों में शरीयत अदालतों के फैसलों को कानूनी मान्यता मिली होती है लेकिन सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि भारत में हमारा संविधान सर्वोपरि है।
उसके ऊपर कोई भी कानून नहीं हो सकता। मुगल और ब्रिटिश काल में जो भी परंपरा रही हो, स्वतंत्र भारत में किसी भी ‘बेकसूर’ इंसान को किसी कानूनी आधार के बिना सज़ा नहीं दी जा सकती।
पिछले दिनों शरीयत अदालतों का मामला इसलिए गरमा गया था कि मुजफ्फरनगर की इमराना नामक 28 साल की एक बहू पर भयंकर जुल्म हुआ था। इस बहू के साथ उसके ससुर ने बलात्कार किया था। शरीयत अदालत ने बलात्कारी ससुर को सजा देने की बजाय बहू इमराना को दोषी ठहराया था और उसे यह सजा दी थी कि वह अब अपने ससुर की बीवी बनकर रहे। इस तरह के कई मामलों ने भारत के मुस्लिम समाज में हड़कंप कर दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय के उक्त ताज़ा फैसले का भारत के मुस्लिम समाज ने तहे-दिल से स्वागत किया है। कई मुस्लिम संगठनों ने कहा है कि वे इस बात से खुश है कि देश की सबसे ऊंची अदालत ने शरीयत अदालतों को गैरकानूनी घोषित नहीं किया है। उसने उनकी पंचायती या सलाहकारी भूमिका को मान्यता दी है। यह सच है, क्योंकि अदालत का कहना है कि इन मज़हबी संस्थाओं की भूमिका समाज में जरूर है लेकिन वह तभी तक है, जब कि लोग उन्हें स्वेच्छा से मानते हैं।
ये मज़हबी अदालतें मुसलमान परिवारों के हजारों मामले हर साल निपटाती हैं लेकिन कुछेक मामलों को लोग अदालतों में भी खींच ले जाते हैं। यदि अदालती मामलों में भी अपीलें होती हैं तो इन मज़हबी फैसलों पर भी अपील क्यों नहीं हो सकती? दूसरे शब्दों में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि कोई भी मुसलमान स्त्री या पुरुष, यदि अपने मज़हबी फतवों या कजा से संतुष्ट नहीं हो तो वह अदालत के दरवाज़े खटखटा सकता है। कोई व्यक्ति सिर्फ मुसलमान होने की वजह से अन्याय का शिकार हो जाए, यह नहीं हो सकता। हर मुसलमान को अपने मौलिक अधिकार की रक्षा का पूरा मौका हमारा संविधान देता है।
नोट- तस्वीर में पुलिस के साथ बुर्के में इमराना