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भारतीय संस्कृति

गाय की महिमा : गौ-अमृत है एक रासायनिक तत्व-भाग दो

गतांक से आगे…..
श्री रामेश्वरलाल माहेश्वरी ने बताया कि-आहार से जो पोषक तत्व कम मात्रा में प्राप्त होते हैं, उनकी पूर्ति गौ-अमृत में विद्यमान तत्वों से होकर स्वास्थ्य लाभ होता है। गौ-अमृत से किसी भी प्रकार के कीटाणु नष्ट करने की अपार शक्ति है। इससे कीटाणु से संबंधित सभी बीमारियां नष्ट हो जाती हैं। गौ अमृत रक्त को स्वच्छ बनाता है व रोग निरोधक शक्ति प्रदान करता है।
गौ-अमृत एकरसायन होता है तो बुढ़ापे को रोककर सभी व्याधियों का नाश करता है।
एलोपैशिक औषधियों का अधिक सेवन करने से जो तत्व शरीर में रहकर उपद्रव पैदा करते हैं, उनको गौअमृत अपनी विषनाशक शक्ति से नष्ट करके रोगी को रोग मुक्त कर देता है। गौ-अमृत में खनिज विशेषकर ताम्र होता है, इससे शरीर में खनिज तत्व विशेषकर ताम्र होता है, इससे शरीर में खनिज तत्व पूर्ण होते हैं।

ये ताम्र तरंगे पैदा होती हैं। ये ताम्र तरंगे अपने विद्युततीय आकर्षक गुण के कारण शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति पैदा करती हैं तथा रोगों से बचने की शक्ति प्रदान करती है।
गौ-अमृत का रोग से पूर्व ही सेवन करने से शरीर में इतनी शक्ति आ जाती है कि रोग उत्पन्न ही नही होता।
गौ-अमृत विषनाषक है। बड़ी बड़ी विषैली औषधियां गौ-मूत्र से शुद्घ की जाती है।
गौ-अमृत से रोगों की चिकित्सा-कैंसर- यह भयंकर रोग है। इससे सैकड़ों लोग प्रतिदिन काल कवलित हो जाते हैं। गौ अमृत ऐसे रोगियों के लिए भी आशा जनक है। बीस मिली गौ-अमृत व दस ग्राम देशी गाय का गोबर को अच्छी प्रकार मिलाकरन् साफ कपड़े से छानकर सुबह शाम निराहार पिलाएं। सौ ग्राम दही में तुलसी के पैंतीस पत्त घोटकर सुबह पिलाएं। 4-5 मास तक लगातार सेवन करने से कैंसर से छुटकारा मिल जाएगा। डाक्टरों को हजारों रूपये देने के बजाए गौ माता की शरणा में आइए और सभी रोगों से छुटकारा पाईए।
दमा (अस्थमा) : फूली हुई फिटकरी दो ग्राम व पंद्रह मिली गौ अमृत को मिलाकर पिलाएं। इसका दो महीने तक सेवन करने से अस्थम दमा दूर होकर फेफड़े ठीक हो जाते हैं और दमा का उठाव कम हो जाता है।
रक्तचाप-15 मिली गौ-मूत्र अमृत का नियमित रूप से सेवन करने से शरीर में स्फूर्ति रहती है भूख बढ़ती है रक्त का दबाव सामान्य होने लगता है।
मधुमेह-15 मिली गौ-मूत्र का सुबह शाम निरंतर छह माह सेवन करने से मधुमेह दूर हो जाता है।
हृदय रोग-15 मिली गौ अमृत का प्रात:काल व सांयकाल निरंतर छह माह सेवन करने से हृदय रोग में फायदा होता है।
किडनी-नित्य प्रात: सांय 15 मिली गौ-अमृत सेवन करने से किडपी रोग ठीक किया जा सकता है।
खाज, खुजली, एक्जिमा-15 मिली गौ-अमृत निरंतर दो माह पीने से किसी भी औषधि से ठीक न होने वाली खाज, खुजली तथा एक्जिमा ठीक हो जाता है। गौ अमृत की इन पर मालिस भी करनी चाहिए।
पथरी-15 मिली गौ अमृत निरंतरन् चालीस दिन तक पीने से पथरी गलकर निकल जाती है। रात्रि में दो ग्राम फिटकरी पानी में घोलकर पीने से सोने से सुहागे का काम होता है।
पाण्डु, जीर्णज्वर, सूजन-दस ग्राम चिरायते को रात्रि में मिट्टी के पात्र से 70 ग्राम पानी में भिगो दें। प्रात: इसे हाथों से मसलकर कपड़े में छान लें। अब इससे बीस मिली गौ-अमृत मिलाकर आधा प्रात:काल और शेष आधा सांयकाल पिला दें। दस दिन तक पिलाएं। सभी रोगों से छुटकारा मिल जाएगा।
दंत रोग-रोजना पंद्रह मिली गौ-अमृत पीने से दांतों के समस्त रोग दूर होकर दांत इतने सुदृढ़ हो जाते हैं कि दांतों से सुपारी फोड़ी जा सकती है। क्रमश:

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