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प्रमुख समाचार/संपादकीय

हमें अपनाना ही होगा ग्रीन हाउस को

विनय कंसलwalkintunnel
आजकल भारत सहित विश्वभर के सभी विकासशील और विकसित देशों में पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन को संतुलित बनाये रखने तथा ग्रीन हाउसों को अपनाने के लिए मीटिंग व सम्मेलनों का आयोजन करके तो बड़ी लंबी चौड़ी बातें की जा रही हैं, लेकिन आज तक ये मीटिंग और सम्मेलन किसी ठोस नतीजे पर नही पहुंच पाये हैं ऐसा कहना अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं दिल्ली प्रदेश स्तर पर अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किये जा चुके जाने माने प्रतिष्ठित पर्यावरणविद विनय कंसल गोल्ड मैडलिस्ट का।
श्री कंसल ने बताया कि यदि आज हमें प्रदूषण से मुक्ति पानी है तो हम ग्रीन भवनों का निर्माण करते समय हमें ग्रीन हाउस के मापदण्डों को अपनाना ही होगा, तथा ग्रीन हाउस को अधिक से अधिक करने का संदेश हमें कंप्यूटर ईमेल, फेसबुक, टयूमर, यूटयूब आदि के माध्यम से देश विदेश में बैठे आमजन तक पहुंचाना होगा।

ऐसा करने से जहां कागज की बचत होगी वहीं पेड़ों को कटने से भी बचाया जा सकेगा, क्योंकि कागज पेड़ों का काटकर ही बनाया जाता है। आगे आए भावी पीढ़ी-उन्होंने कहा कि प्राकृतिक वातावरण को स्वच्छ बनाये रखने के लिए हमें ठोस कदम उठाने होंगे तभी हम भावी पीढ़ी को स्वच्छ वातावरण दे सकेंगे। हमें पर्यावरण संतुलन को बनाये रखने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे नही तो हमारी धरती को खतरा हो जाएगा। प्रकृति से लगातार छेड़छाड़ करके इंसान इस असंतुलित बना रहा है। यदि समय रहते हमने निरंतर बिगड़ते पर्यावरण को नही सुधारा तो स्थिति इतनी भयंकर हो जाएगी कि इंसानी जीवन तबाह भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि केवल सरकारी स्तर पर ऐसे भयंकर विषयों पर सफलता पाना असंभव है इसमें सभी लोगों की भागेदारी अति आवश्यक है।
हर एक को लगाने होंगे पेड़-पौधे : पर्यावरण संरक्षण के लिए बच्चे, बूढ़े, जवान, नर और नारी सभी को कंधे से कंधा मिलाकर अधिक से अधिक पेड-पौधे लगाने होंगे और स्वच्छ पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना होगा तथा इसे एक जन आंदोलन का रूप देना होगा। हर कोई यहन् कसम ले कि हम प्रदूषण नही फेेलने देंगे और जो तत्व प्रदूषण फेेलाने में सहायक होगा उसे तुरंत रोकने के लिए सरकार का साथ देंगे। उन्होंने कहा कि समाचार पत्र पत्रिकाएं और दूसरे चैनल भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को अपनी लेखनी व संदेशों के माध्यम से जागरूक करें। केमिकल व यूरिया से बचना होगा:श्री कंसल ने कहा कि इसके साथ साथ हमें हवा, पानी तथा जमीन के प्रदूषण पर भी अंकुश लगाना होगा। हम खेतों में उत्पादन बढ़ाने के लिए अनेकों प्रकार के कैमीकल और यूरिया खाद्य आदि का प्रयोग करते हैं इन पर अंकुश लगाना होगा और सिंचाई के लिए छिडक़ाव प्रणाली का प्रयोग करना होगा। डीजल और पेट्रोल की खपत आवश्यकतानुसार करें तथा पैदल या साईकिल का प्रयोग भी अपनी दिनचर्या में डाले। श्री कंसल ने सोलर ऊर्जा के प्रयोग पर विशेष बल देते हुए कहा कि गृहणियों को प्रैशर कुकर का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। हमें पर्यावरण संतुलन को बनाये रखने के लिए मुख्यत: तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे रीसाईकल, रीस्टोर व रियूज की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
जूट या कपड़े के थैलों का प्रयोग करें:-
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने प्लास्टिक की थैलियों के प्रयोग, निर्माण, भण्डारण, विक्रय पर पूर्णत: पाबंदी लगा रखी है इसलिए हमें इसके स्थान पर जूट और कपड़ों से बने थैलों का ही प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ साथ उन्होंने बच्चों को भी परामर्श दिया कि वे प्लास्टिक के चम्मच व प्लेटों का प्रयोग न करें।
उन्होंने कहा कि हम गऊ को माता के रूप में पूजते हैं और उसी गऊ माता को हम प्लास्टिक की थैलियां खाने पर मजबूर करते हैं जिसके कारण कई बार तो गऊ माता की मृत्यु तक हो जाती है। आईए, हम सब ग्रीन हाउस की ओर हाथ से हाथ मिलाकर आगे बढ़ें।

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