ओ३म् सनातन सत्य स्वरूपा
अगम अगोचर अजर अनूपा
ओ३म् अमर अविनाशी स्वामी
घट-घट वासी अंतर्यामी ।। 5 ।।
नित्य निरंजन मुनिजन-रंजन
ओ३म् सदा ही सब दुख भंजन
सत्यं शिवं सुंदरं अनुपम
ओ३म् सच्चिदानंद स्वरूपम ।। 6 ।।
ओ३म् अनादि अनंत अपारा
सकल विश्व को उसने धारा
ओ३म् सृष्टि का सिरजन हारा,
वो ही सच्चा मित्र हमारा ।। 7 ।।
ओ३म् पिता है ज्ञान प्रकाशक
सदगुण प्रापक दुर्गुण नाशक
जनम जनम का उससे नाता
अशरण शरण सकल सुख दाता ।। 8 ।।
क्रमश: