केजरीवाल के झूठों का सच और देश की सुरक्षा व्यवस्था

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इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार, महामन्त्री, वीर सावरकर फ़ाउंडेशन     ———————————————

   झूठ, छल , कपट व चालाकी वैसे तो राजनीति के खास गुण हैं, पर यदि बात दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की की जाए तो वह राजनीति में रहकर इन सब बातों में पीएचडी हैं। यह बहुत ही आश्चर्य की बात है कि देश की राजधानी दिल्ली के नागरिकों को भी वह झूठ और छल में फंसाने में सफल हो गए हैं।
    दिल्ली के मुख्य मन्त्री केजरीवाल ने कल ‘टाइम्स नाउ’ के एक इंटरव्यू में झूठ की बरसात लगा दी है। पंजाब चुनाव में बोलने वाले केजरीवाल के पंजाब का बजट १ लाख सत्तर हज़ार करोड़ का है। २० प्रतिशत पैसा कॉन्ट्रेक्ट की घूस में जाता है। हम ईमानदार हैं, इस घूस को बंद कर देंगे तथा ३४ हज़ार करोड़ आ जायेगा। २० हज़ार करोड़ दूसरी जगह से आ जायेगा। हमारे पास ५४ हज़ार करोड़ अधिक रुपया होगा। हम सब वादों को पूरा कर देंगे।
     केजरीवाल जानता था कि वह सरासर झूठ बोल रहा है। क्योंकि राज्य के बजट में सरकारी कर्मचारी पर खर्च, पेन्शन, उधार का ब्याज व विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च के बाद कॉंट्रैक्टर को देने को मामूली पैसा रहता है। कहाँ से ३४ हज़ार करोड़ लायेगा ?
भोली भाली जनता ने उसकी बातों पर विश्वास कर लिया। उसका मुख्यमंत्री प्रधान मन्त्री से माँग करता है कि पंजाब सीमा से लगा नाज़ुक राज्य है। इसलिये १ लाख करोड़ पंजाब को दो। केजरीवाल कहने लगा कि केंद्र का पैसा भी तो जनता का पैसा है। जनता का पैसा जनता को देना पड़ेगा। गम्भीर रूप से मुस्लिम साम्प्रदायिक राजनीति करने वाला केजरीवाल अपने मुस्लिम मतदाताओं को ख़ुश करने के लिये हिन्दुओं के काश्मीर में नरसंहार के सत्य पर आधारित ‘द काश्मीर फ़ाइल्ज़’ को झूठ पर आधारित फ़िल्म बोलने में भी संकोच नही करता। आज बेरोज़गारी गम्भीर समस्या है तो झूठ कहता है । १० लाख लोगों को निजी क्षेत्र में नौकरी मिली। न दिल्ली में एक कारख़ाना लगा न कुछ हुआ न ही दिल्ली का एम्प्लोयी इंसुरेस डिपार्टमेंट कहता है कि १० लाख लोगों को निजी क्षेत्र में नौकरी मिली। उसने दिल्ली के सरकारी स्कूल को इतना अच्छा बना दिया कि निजी स्कूल से ४ लाख बच्चे नाम कटाकर सरकारी स्कूल में आ गये। क्या सरकारी स्कूल में ४ लाख सीट बढी ? यह केजरीवाल ने नही कहा। बिलकुल नही।
  इसके बावजूद केजरीवाल की पार्टी को पंजाब के लोगों ने विश्वास करके अपनी हुकूमत भी दे दी तो यह निश्चय ही दुखद विषय है। आने वाला समय बताएगा कि पंजाब के लोगों ने कितनी बड़ी गलती कर दी थी ? क्योंकि राजनीति के एक जादूगर को सीमावर्ती प्रांत की कमान सौंपना देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता के दृष्टिकोण से तो खतरनाक है ही साथ ही एक झूठे, चालबाज व्यक्ति को प्रदेश सौंपने का मतलब उसे आर्थिक रूप से और अधिक पिछड़ेपन की ओर ले जाना भी है। इसका खामियाजा निश्चित रूप से पंजाब की जनता को भुगतना पड़ेगा। वैसे देश की सुरक्षा एजेंसियों को भी चौकसी बरतने की आवश्यकता है। क्योंकि केजरीवाल के खासमखास रहे कवि कुमार विश्वास के द्वारा जिस प्रकार उन पर पंजाब के खालिस्तानी आतंकवादियों से मिलीभगत के आरोप लगाए गए हैं, उन्हें हल्के से लेने की आवश्यकता नहीं है।

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