सुप्रीम कोर्ट यहीं चुप नही रहा। उसने इस बर्बर कृत्य के लिये आंध्र प्रदेश सरकार से जवाब-तलब करते हुये कहा कि वो इस घटना पर वह आगे क्याा कार्यवाही कर रही है।सनद रहे कि आततायी ईंट भट्टे के मालिक के गुर्गों ने मजदूरों से पूछा, पैर काटें या हाथ?
दियालु ने सिककते हुये बताया कि, ‘उन्होंने हमसे पूछा कि तुम्हारा हाथ काटा जाया या पैर। हम उनके सामने पैर पर गिरकर क्षमा मांगने लगे कि हमें बख्शं दिया जाये हमने कहा कि हम उधार चुकाने के लिए दसों साल तक मजदूरी करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने हमारे उपर तनिक भी रहम नही किया। सर्वप्रथम उन्होंने मेरे सामने नीलांबर मांझी का हाथ काटा और फिर मेरा।’
दूसरे मजदूर नीलांबर मांझी ने बताया, ‘मैंने उनसे कहा कि साहब हम बहुत गरीब हैं किसी तरह से हम अपना और अपने परिवार का जीवन चला रहे हैं और आपका पैसा तुरंत के तुरंत नही दे सकते। लेकिन वे माने नही मेरा हाथ काट डाला। हमारा हाथ काटने के बाद उन्होंने हमारे खून का अपने सिर पर टीका लगाया और वैन में बैठकर शराब पीने लगे।’
अब देखना ये है कि आंध्र प्रदेश सरकार मजदूरों के हाथ काटने वाले आरोपियों के खिलाफ क्या कार्यवाही करती है।