अशोक मधुप
पंजाब के नए मुख्यमंत्री भगवंत मान के शपथ ग्रहण समारोह में अरविंद केजरीवाल जैसी कई महत्वपूर्ण हस्तियां शामिल हुईं। कहा गया था कि प्रदेश के दो लाख व्यक्ति इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। कार्यक्रम के लिए एक सौ एकड़ जमीन ली गई। इसमें किसानों की फसल लगी थी।
पंजाब में शहीद भगत सिंह के गांव भटकड़ कलां में आम आदमी पार्टी के नए बने मुख्यमंत्री भगवंत मान का शपथ समारोह हुआ। समारोह हो गया, पर कई सवाल छोड़ गया। आम आदमी के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह पर तीन करोड़ रुपया व्यय हुआ। सवाल उठता है कि शपथ ग्रहण कार्यक्रम पर तीन करोड़ व्यय करने वाली क्या आम आदमी की पार्टी कहलाई जानी चाहिए ? यह शपथ ग्रहण समारोह शहीद भगत सिंह के गांव भटकड़ कलां में हुआ। शहीद के गांव में किसी मुख्यमंत्री का शपथ लेना शायद देश का पहला कार्यक्रम था। आजादी के सत्तर साल में राजनीति करने वालों या देश के नेताओं को शहीदों की याद तो बहुत बार आई, किंतु अपनी राजनीति चमकाने के लिए या अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए। उन्होंने किसी क्रांतिकारी की प्रतिमा पर जाकर ईमानदारी से काम करने की शपथ नहीं ली। इधर−उधर शपथ लीं तो उसका पालन किस तरह से किया, ये देशवासी अच्छी तरह जानते हैं। देश का शायद ये पहला और अलग कार्यक्रम होगा। इसलिए इसकी प्रशंसा की जानी चाहिए।
पंजाब के नए मुख्यमंत्री भगवंत मान के शपथ ग्रहण समारोह में अरविंद केजरीवाल जैसी कई महत्वपूर्ण हस्तियां शामिल हुईं। कहा गया था कि प्रदेश के दो लाख व्यक्ति इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। कार्यक्रम के लिए एक सौ एकड़ जमीन ली गई। इसमें किसानों की फसल लगी थी। कहा गया कि किसानों को सहमत कर फसल का मुआवजा देकर फसल काटी गई। कार्यक्रम के बारे में सरकारी स्तर पर पूरे पंजाब से दो लाख से अधिक लोगों के आने का दावा किया गया है। शहीद स्मारक के पीछे एक लाख लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई, जबकि स्मारक की भूमि पर साढ़े छह एकड़ क्षेत्र में पंडाल लगाया गया। आम आदमी पार्टी के इस शपथ ग्रहण समारोह को देखकर सोचना पड़ रहा है कि ये आम आदमी का कार्यक्रम था तो राजाओं के कार्यक्रम कैसे होंगे। अतिथिगण पांच हैलीकाप्टर से कार्यक्रम में भाग लेने आए। सरकार की ओर से बताया गया कि कार्यक्रम के लिए दो करोड़ रुपया स्वीकृत किया गया था, किंतु खर्च तीन करोड़ से ज्यादा का हुआ। आम आदमी के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण पर तीन करोड़ रूपया व्यय हुआ। मुझे याद नहीं आता कि आज तक का कोई ऐसा शपथ ग्रहण कार्यक्रम हुआ हो, जिसकी व्यवस्था बनाने पर तीन करोड़ रुपया व्यय हुआ हो। ये राशि तो सरकारी धन है। वह धन है जिसे देश के करदाता टैक्स के रूप में सरकार को देते हैं, यह किसी नेता या दल की निजी संपत्ति नहीं है। यह भी हो सकता था कि राजभवन में सादा कार्यक्रम होता। उसका प्रसारण प्रशासन स्तर पर पूरे प्रदेश में कराया जाता। इस कार्यक्रम के आयोजन पर व्यय हुआ तीन करोड़ रुपया प्रदेश की जनता की आम जरूरत पूरी करने पर व्यय किया जाता। प्रदेश के संसाधान बढ़ाने पर इसे लगाया गया होता। यह तो अनुत्पादक व्यय हुआ। इससे समाज, देश और खुद पंजाब प्रदेश को ही कुछ मिलने वाला नहीं है।
कार्यक्रम करने के लिए एक सौ एकड़ फसल काटी गई। सरकारी स्तर पर इसका मुआवजा देने की बात की गई। किंतु फसल समय से पहले तो काटी गई। फसल तो बरबाद हुई। ये फसल की बरबादी तो देश की क्षति है। राष्ट्र का नुकसान है। एक कहानी याद आती है कि भारत के एक उद्योगपति जापान अपनी कंपनी के कार्यक्रम में भाग लेने गए। उनके स्टाफ ने होटल में उनके भोजन के लिए काफी डिश मंगवाई। बाद में ये बच गई। ये देख होटल में भोजन कर रही एक महिला ने शोर मचाना शुरू कर दिया। पुलिस बुला ली। इनके स्टाफ और खुद उद्योगपति ने कहा कि वे इसका पैसा दे रहे हैं, किंतु महिला ने उनकी एक नहीं सुनी। पुलिस ने भी कहा कि आपने जरूरत से ज्यादा भोजन लेकर राष्ट्र का नुकसान किया है। इसके लिए उन पर मोटा जुर्माना लगाया गया।
आप पार्टी दावा करती है कि वह और उसके नेता ईमानदार हैं, हालांकि यह दावा लालू यादव जैसे नेता भी करते रहे हैं, जो भ्रष्टाचार में सजा काट रहे हैं या काट चुके हैं। अच्छा होता कि आम आदमी की पार्टी होने का दावा करने वाले आप नेता इस कार्यक्रम को सादे स्तर पर करते। इस वृहद स्तर पर किया है तो इसका खर्च अपनी पार्टी के फंड से देते। पिछले कुछ समय से सरकारी कोष के धन का ऐसा दुरूपयोग हुआ है, जैसा इससे पहले नहीं हुआ।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी कांड में मृतक सभी नौ व्यक्तियों को उत्तर प्रदेश सरकार ने 45−45 लाख रुपया मुआवजा दिया। इसके बावजूद पंजाब और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने यहां के मृत चार किसानों को 50−50 लाख रुपया अपने प्रदेश के कोष से दिया ? पंजाब और छत्तीसगढ़ के प्रदेश का धन दूसरे प्रदेश में लुटाने का अधिकार इन प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को किसने दिया ? इस पर विचार होना चाहिए। ये तय होना चाहिए कि जनता से एकत्र किए टैक्स का दुरुपयोग कैसे रोका जाए।
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