अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती देख पहले तो बौखलाये कांग्रेसियों ने यह अफवाह उड़ानी शुरु की कि वेद प्रताप वेदिक मोदी के दूत के रूप मे पाकिस्तान गये थे। वह लोग यह बताना भूल गये कि खुर्शीद और अय्यर भी क्या मोदी के ही दूत बनकर गये थे या फिर किसी और के दूत बनकर गये थे ! या फिर कांग्रेस यह कहना चाहती है कि कांग्रेस के सभी नेता और उनके साथ पाकिस्तान जाने वाले पत्रकार “मोदी के दूत” बनकर जाते है ! वैदिक ने पाकिस्तान जाकर जो कुछ भी किया अगर वह गलत और देश के कानून के खिलाफ है तो उस पर कानूनी कार्यवाही की मांग करने के वजाये कांग्रेसियों का यह कहना कि क्योंकि वेदिक रामदेव से मिलते रहते है इसलिये वह मोदी के दूत हो गये-बेहद हास्यास्पद है !
कांग्रेस के तथाकथित शीर्ष नेता राहुल गाँधी जो अपने विवादास्पद बयानो से अपनी पार्टी की मट्टी पलीत कराने के लिये ही जाने जाते है, उन्होने बिना सोचे समझे यह बयान भी दे डाला कि वेद प्रताप वैदिक आर एस एस के आदमी हैं ! अपनी चुनाव सभाओं मे राहुल गाँधी ने आर एस एस को “आतंकवादी संगठन” बताया था और उनकी उस बदजुबानी का जबाब जनता 16 मई को पहले ही दे चुकी है-लेकिन राहुल गाँधी जैसे लोग अगर अपनी गलतियों से सबक ले सकते तो कांग्रेस पार्टी की इतनी दुर्दशा नही हुई होती ! देश की सबसे बड़ी और पुरानी राजनीतिक पार्टी की ऐसी दुर्दशा कोई विपक्ष मे बैठा राजनीतिक दल हर्गिज़ नही कर सकता। ज़ाहिर सी बात है कि जिस पार्टी मे दिग्विजय,शिन्दे और राहुल गाँधी जैसे नेता मौजूद हों, उसे अपनी दुर्दशा करवाने के लिये विपक्षी पार्टियों का मोहताज़ थोड़े ही होना पड़ेगा।
अरुण जेटली और सुषमा स्वराज के साफ साफ बयान देने के बाबजूद कि वैदिक की पाकिस्तान यात्रा उनकी व्यक्तिगत यात्रा थी और उसका मोदी या भाजपा सरकार का कोई लेना देना नही है-कांग्रेस पार्टी इस बात को जबरदस्ती का मुददा बनाकर यह साबित करने पर तुली हुई है कि किसी तरह से वैदिक को भाजपा,मोदी या आर एस एस का आदमी बताकर घटिया दर्ज़े की नकारात्मक राजनीति की जाये। आम चुनावों मे मिली करारी हार के बाद अपने राजनीतिक वजूद को तलाशती कांग्रेस पार्टी को अगर लगता है कि उसे इन फ़िज़ूल के मुद्दों से राजनीतिक जीवनदान मिलेगा तो वह भयंकर गलती पर है।
नीतू सिंह