_______________
उन्हें यह फ़िक्र है हरदम, नयी तर्ज़-ए-ज़फ़ा क्या है?
हमें यह शौक है देखें, सितम की इन्तहा क्या है?
“अब तो मर कर ही ये उल्फत जाएगी
मेरी मिट्टी से खुशबू -ए – वतन आएगी”
गौतम बुध नगर की भूमि धन्य हो गई भारत माता के अमर सपूत शहीदे आजम भगत सिंह को शरण देकर | बात उस जमाने की है जब यमुना नदी आज के उत्तर प्रदेश और तब के *संयुक्त_प्रांत तथा आज के हरियाणा तब के पंजाब राज्य को विभाजित करती थी | गौतम बुध नगर से प्रवाहित होने वाली यमुना व हिंडन नदी के बीच सिक्ख👳👳👳 समुदाय का एक छोटा सा गांव है *नलगढा*… आज की तिथि में यह गांव नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की भौगोलिक सीमा के बीच स्थित है | आज से शताब्दी पहले यह *निर्जन खादर* का घनघोर जंगल था जहां पहुंचने से भी व्यक्ति को डर लगता था क्रांतिकारियों के लिए आदर्श उपयुक्त जगह थी छुपने के लिए भगत सिंह तथा उनके साथ एक क्रांतिकारी जिनमें बटुकेश्वर दत्त शामिल थे इसी गांव में छुपकर क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देते थे राजधानी दिल्ली के नजदीक |
*दिल्ली_केंद्रीय_असेंबली_बम_कांड* से पहले बम का परीक्षण तथा बम बनाते थे इसी नलगड़ा गांव में |
आज भी इस गांव में भगत सिंह से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण सामग्री हैं मसलन वह *पत्थर_की_शिला* जिस पर बम💣💣 का मिश्रण तैयार किया जाता जाता था | गांव के बुजुर्ग बहुत से किस्से से इस विषय में सुनाते थे अब भगत सिंह के समाकालीन कोई बुजुर्ग गांव में नहीं बचा है |
सबसे बड़ी विडंबना है नोएडा प्राधिकरण ने इस गांव मे भगत सिंह की स्मृति में शहीद -ए -आजम भगत सिंह पार्क संग्रहालय तथा स्मारक बनाने की घोषणा की थी जो आज दशकों को बीतने पर भी पूरी नहीं हो पाई है |
एक तरफ इसी ग्रेटर नोएडा नोएडा की भूमि पर *भारतीय_पाक_कला_संस्थान* बना दिया जाता है सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च जिसका ना कोई सांस्कृतिक महत्व है ना भारतीय स्वाधीनता संग्राम से कोई सरोकार नहीं है |शहीद भगत सिंह को शरण देने वाला यह गांव आज भी विश्व स्तरीय पहचान को मोहताज है |
लेकिन भगत सिंह हम जैसे लाखों-करोड़ों युवाओं के जेहन में जिंदा है… सरकारों को हम भूलने नहीं देंगे |
आर्य सागर खारी✒✒✒