इजरायल और फलस्तीनी संगठन हमास के बीच जारी संघर्ष में अनेकों नागरिक मारे जा चुके है। इजरायल द्वारा चलाये जा रहे ऑपरेशन ” प्रोटेक्टिव एज”में जमीनी हमले के बाद स्थिति विकट हो चुकी है।इस टॉपिक को निम्न रूप से देख सकते है-
1.हाल ही में चर्चित क्यों
2.क्यों उत्पन्न होती है यह स्थिति
3.क्या है गाजा पट्टी
4.क्या है गाजा पट्टी का इतिहास
5.वैश्विक दृष्टिकोण
6.भारतीय पक्ष
1.हाल ही में चर्चित क्यों
*पिछले महीने तीन इजरायली युवकों की वेस्ट बैंक में हत्या हो गई थी। *इजरायल का कहना है कि आतंकी संगठन हमास ने इन युवकों की अगवा कर हत्या की है, जबकि हमास ने इससे इंकार किया है।
* इसके जवाब में इजरायल ने सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया और पूछताछ की।
* इसके बाद येरुशलम में 2 जुलाई को एक फलस्तीनी युवक की हत्या कर दी गई।
*इस हत्या के बाद बात और बढ़ गई तथा हमास ने इजरायल पर रॉकेट फायर करना शुरू कर दिया। इसके बाद इजरायल ने भी आगे बढ़कर हमले किए।
2.क्यों उत्पन्न होती है यह स्थिति
*गाजा पट्टी पर बार-बार ऐसे ही खूनी हालात पैदा होते हैं, जिनमें आम नागरिक मारे जाते हैं ,इस विवाद में इजरायल और हमास आमने-सामने होते हैं।
* हमास इजरायल को देश ही नहीं मानता है और उसे खत्म करने की चुनौती देता है।
* दूसरी तरफ इजरायल और अमेरिका जैसे देश हमास को आतंकवादी संगठन मानते हैं और उसे समाप्त करना चाहते हैं।
*गाजा पट्टी पर हमास का अधिकार होने के बाद से ही इजरायल ने वहां ब्लॉकेड स्थापित कर दिया है, जिसके कारण लोगों और आवश्यक सामग्री का क्षेत्र में परिवहन बंद हो गया है। हमास कहता है कि ब्लॉकेड को हटाया जाए, जबकि इजरायल इसे जरूरी बताता है।
* ब्लॉकेड की वजह से स्थितियां इतनी बदतर हो गई हैं कि गाजा पट्टी को आउटडोर जेल भी कहा जाता है। गाजा पट्टी पर रहने वाले फलस्तीनी खुद को जेल में बंद कैदी जैसा महसूस करते हैं।
*हालांकि गाजा और इजरायल के झगड़ों में इजरायल और फलस्तीन के खराब संबंध भी मुख्य कारक होते हैं। *कहा जा सकता है कि हमलों के दीर्घकालिक कारणों में इजरायल होता है और उसकी तात्कालिक वजह हमास होता है।
3.क्या है गाजा पट्टी
*गाजा पट्टी इजरायल और मिस्र के बीच तटीय किनारे पर एक पट्टी है। यह मात्र 40 किमी लंबी और 10 किमी चौड़ी है।
* इसका कुल क्षेत्र 235 वर्ग किलोमीटर है।
*यहां करीब 17 लाख फलस्तीनी रहते हैं।
*इसके एक ओर भूमध्य सागर है तो दूसरी ओर इजरायल तथा एक हिस्सा मिस्र को भी छूता है।
4.क्या है गाजा पट्टी का इतिहास
*गाजा पट्टी के आकार का निर्धारण 1948-49 के अरब-इजरायली युद्ध के बाद हुआ था।
*इसके बाद गाजा पट्टी पर मिस्र ने 1948 से 1967 तक शासन किया। *1967 में सिक्स डे वॉर के बाद इजरायल ने इस पट्टी पर कब्जा जमा लिया था और यह पूरी तरह उसके ही नियंत्रण में थी।
*हालांक पट्टी की दक्षिणी सीमा पर मिस्र का ही कब्जा बरकरार रहा। *2005 में इजरायल ने गाजा पट्टी से अपनी सेना को वापस बुला लिया, जिसके बाद यह पट्टी फलस्तीन के अधिकार क्षेत्र में आ गई।
*अब मूलत: फलस्तीन (पैलेस्टाइन नेशनल अथॉरिटी) का ही एक हिस्सा होने के बावजूद यहां पर फलस्तीन सरकार का नियंत्रण नहीं है।
*इस पर जून 2007 के बाद से कट्टरपंथी संगठन हमास का शासन है।
* फलस्तीन में 2006 में संसदीय चुनाव हुए थे। इसमें हमास विजयी रहा था। अपेक्षाकृत उदार दल फतह दूसरे स्थान पर आया। दोनों दलों ने मिलकर सरकार बनाई। लेकिन फिर जून 2007 में हमास ने गाजा पट्टी पर अकेले कब्जा कर लिया।
*इसके बाद से आज तक गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा बरकरार है।
फतह शासित फलस्तीन का अधिकार केवल वेस्टबैंक तक है।
5.वैश्विक दृष्टिकोण
*अमेरिका और जर्मनी के नेताओं ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू से बात जरूर की, लेकिन नेतनयाहू ने हमले रोकने से साफ इंकार कर दिया।
* चूंकि हमास आतंकी संगठन है तो उससे बात करने का कोई तरीका किसी भी देश के पास नहीं है।
*अरब वर्ल्ड के देश हमले को रोकने के लिए इजरायल और पश्चिमी देशों पर दबाव बना सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। दरअसल, अरब देश वैसे तो हमेशा से इजरायल की तरफ झुकाव रखते हैं, लेकिन जैसमिन रेव्यूलूशन के बाद से यह झुकाव और बढ़ गया है।
*इराक और सीरिया जैसे देशों में शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच बढ़े झगड़े के बाद अरब वर्ल्ड इराक और सीरिया के खिलाफ हो गया है।
*अब जब इराक और सीरिया हमास को समर्थन दे रहे हैं तो अरब वर्ल्ड खासकर यूएई और सऊदी अरब गाजा के मामले में कुछ नहीं बोल रहे हैं।
* मिस्र भी खास रुचि नहीं ले रहा है।
6. भारतीय पक्ष
*चूँकि भारत के इजरायल से अच्छे सबंध है इसलिय भारत फूंक – फूंक कर कदम रख रहा है।
* भारत एवं इजरायल में रक्षा,कृषि एवं अन्य क्षेत्रों में सहयोग है जिसे दरकिनार नहीं किया जा सकता।
*हमास एक आतंकवादी संगठन है उसका पक्ष लेना भारत में अलगाववादी तत्वों को मजबूती प्रदान करेगा।
*भारत का मानना है समस्या का शांतिपूर्ण समाधान जिससे निर्दोष लोग न मारे जाये।
*भारत में कुछ राजनीतिक दल सरकार पर इजरायल की निंदा करने हेतु दबाब बना रहे है लेकिन विदेश नीती घरेलू कारको द्वारा संचालित नहीं की जा सकती
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