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प्रकृति की अग्रिम पंक्ति में शामिल होकर सेमल जैसे वृक्ष निश्चल स्वभाविक सहज भाव से बसंत उत्सव में ही निहित होलिकात्सव मनाते हैं। सेमल व पलास जैसे वृक्ष सर्दी के सीजन की अंतिम ऋतु शिशिर के गुजरते ही बसंती उत्सव मनाने लगते हैं लाल लाल बडे फूलों से सज जाते हैं। सेमल का वृक्ष संपूर्ण भारतवर्ष में पाया जाता है संस्कृत में इस साल्मली तो कहीं कहीं सेमर भी बोलते हैं। इसके लिए वनवासी आंचल में अनेक क्षेत्रीय बोली के संबोधन है। यह वृक्ष महानगरों में भी दिख जाता है। वृक्षों के लिहाज से सर्दियों का निष्ठुर मौसम सेमल बड़े धैर्य तपस्या से काटता है अपनी समस्त पत्तीयो को गिरा देता है और मार्च-अप्रैल आते यह पांच पत्तियों से युक्त विशेष आकर्षक लाल रंग के औषधीय महत्व के फूलों से सज जाता है…. वनस्पति जगत में बहुत कम ऐसे वृक्ष है जब उन पर फूल आते हैं तो उनकी पत्तियां दृष्टिगोचर नहीं होती उन्हीं में सेमल है, इसीलिए कहा गया है…….।
पत्ती नहीं एक, फूल हजार है
देखो सेमल पर आयी कैसी बाहर है?
सेमल का वृक्ष जब अपनी युवावस्था में होता है तो इसके तने पर विशेष काटे होते हैं जैसे जैसे यह अपनी प्रौढ़ अवस्था को प्राप्त करता है इसके कांटे घिसते चले जाते हैं लेकिन इन काटों का विशेष शल्यक्रिया के दृष्टिकोण से महत्व है। बड़े से बड़ा घाव इसके कांटों को घिसकर लगाने से भर जाते है इतना ही नहीं चेचक के दाग गड्ढे भी भर जाते हैं। सेमल की जड़ों का चूर्ण बहुत ही पौष्टिक बलवर्धक होता है आयुर्वेद में इसकी गणना बलवर्धक वृष्य शीतल वात पित्त नाशक प्रमेह स्वपनदोष नाशक पोस्टिक वनस्पति में की गई है। सेमल के फूल जिनका जिक्र ऊपर किया है उनकी सब्जी पेट रोग नाशक पेसिच अतिसार बवासीर गैस्ट्रोएंटरोलॉजी की लाइलाज बीमारी अल्सरेटिव कोलाइटिस ,इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम माताओं बहनों में होने वाले लिकोरिया रोग में अतीव लाभकारी होती है। सेमल के फल के बीजों से विशेष कॉटन रूई प्राप्त की जाती है इसका इस्तेमाल तकिया गद्दा रजाई में होता है लाइफ स्पोर्ट जैकेट में भी उनका प्रयोग किया जाता है बहुत ही बेहतरीन रुई इससे प्राप्त होती है । वनवासी आंचल में इसकी टहनियों पत्तियों को तोड़कर वनवासि अपने पशुओं को खिलाते हैं पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता आशातीत तौर पर बढ़ जाती है। अनेक अंचलों में होलिका दहन में प्रयोग किए जाने वाले उपले कंडे ईंधन के ढेर में इसी वृक्ष की दंड को गाडा जाता है सेमल वृक्ष की फल फूल छाल जड यहां तक कि काँटा भी बहुत बहुत गुणकारी है अनेक व्याधियों में…. ऐसी बीमारीयो जिनके सामने चिकित्सा जगत लाचार हैं उन्हें केवल ट्रीटेबल कहा गया है अर्थात वह बीमारियां जो केवल ट्रीटेबल है उन्हें पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता था। जो क्यूरेबल नहीं है अर्थात पूरी तरह जिन्हें खत्म नहीं किया जा सकता इलाज लेते रहेंगे तो फायदा मिलता है इलाज छूटते ही फिर उपद्रव शुरू लेकिन सेमल रामबाण औषधि है ऐसी अनेक व्याधियों की इसी कारण इसे साइलेंट डॉक्टर भी कहा जाता है। आयुर्वेद के ग्रंथ अष्टांगहृदय ,चरक ,सुश्रुत संहिता के विभिन्न अध्यायों को खंगालना होगा प्रयोग विधियों को आत्मसात करना होगा तब जाकर हम सेमल जैसी दिव्य वनस्पतियों वृक्षों के विविध महत्व को समझ पाएंगे। मेडिकल साइंस में जितनी बड़ी बीमारी घोषित की जाती है जिसमें कैंसर ऑटोइम्यून डिजीज रूमेटाइड अर्थराइटिस पार्किंसन अल्जाइमर एचआईवी जैसी बीमारियां हैं आप यकीन नहीं करेंगे वनस्पति जगत आयुर्वेद में उन व्याधियों का बहुत ही सरल निदान सफल सार्थक साद्धय चिकित्सा है। प्राइमरी एजुकेशन से ही आयुर्वेद के ग्रंथ पढ़ाए जाने चाहिए…. फिर आसानी से कोई भी परिवार व्यक्ति रोग और शोक को प्राप्त नहीं होगा सबके जीवन में उल्लास आनंद उमंग का संचार होगा। आप सभी को वसंत नवसस्येष्टि वैदिक पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
आर्य सागर खारी ✍✍✍