उगता भारत ब्यूरो
जेकेएलएफ का यासीन मलिक उनमें से एक है जिसने ऑन टीवी एक बार कश्मीरी पंडित की हत्या को स्वीकारा था और जिसे इंडिया टुडे ने यूथ आइकन बनाकर अपने साल 2008 के कॉन्क्लेव में पेश किया था।
‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म के रिलीज के बाद एक बार फिर से कश्मीरी पंडितों के साथ घाटी में हुई बर्बरता के बारे में चर्चा जगह-जगह शुरू हो गई हैं। इसी बीच उन नामों का भी खुलासा हो रहा है जिनके हाथ कश्मीरी पंडितों के खून से रंगे हैं। जेकेएलएफ का यासीन मलिक उनमें से एक है जिसने ऑन टीवी एक बार कश्मीरी पंडित की हत्या को स्वीकारा था, लेकिन फिर भी इंडिया टुडे ने साल 2008 के कॉन्क्लेव में उसे यूथ आइकन बनाकर पेश किया था।
दिलचस्प बात ये है कि तमाम विवादों के बाद इंडिया टुडे के कॉन्कलेव में यासीन मलिक को बुलाया गया और उसका परिचय देते हुए महिंद्रा ने उसके कुकर्मों को जस्टिफाई करने का प्रयास किया था। महिंद्रा ने यासीन को लेकर कहा था,
“यासीन मलिक जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का अध्यक्ष है। ये दल सेकुलर और अलगाववादी है जो जम्मू-कश्मीर की आजादी की बात करता है न सिर्फ भारत से बल्कि पाकिस्तान से भी। मलिक जेकेएलएफ से एक आतंकी के तौर पर अस्तित्व में आया था और पाकिस्तान में ट्रेनिंग के लिए भी गया था। बाद में उसने सरेंडर किया और इसे शांतिपूर्ण प्रदर्शन में तब्दील कर दिया। जेकेएलएफ शुरूआत में एक आतंकी संगठन था लेकिन 1995 के बाद इन्होंने हर हिंसा को छोड़ दिया और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी माँग मनवाने को आगे बढ़ा। यासीन मलिक कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी की भी वकालत करता है जिन्हें घाटी से निकलने पर मजबूर किया गया। स्पष्ट तौर पर उनके पेनेल में चयन कुछ विवादों का हिस्सा बना जैसा कि आपने शो के शुरू में हल्ला सुना। मुझे लगता है कि हम इस निर्णय का आदर करते हैं जहाँ हर आवाज सुनी जाती है। मुझे लगता है लोकतंत्र की खासियत वार्ता है।”
हैरान करने वाली चीज ये है कि यासीन मलिक को जब इस पेनल में शामिल करने की बात आई थी, तब तमाम हिंदुओं ने इसका विरोध किया था लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई और यासीन के साथ इंडिया टुडे ने मंच साझा किया। इतना ही नहीं आदित्य राज कौल नामक पत्रकार का दावा है कि उन्होंने इस संबंध में आनंद महिंद्रा से सवाल किए तो उन्हें ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया गया और आज तक उन्हें अनब्लॉक नहीं किया गया है।
बता दें कि यासीन मलिक के ऊपर टेरर फंडिंग समेत तमाम आरोपों को लेकर वर्तमान में केस चल रहा है। लेकिन कश्मीरी पंडितों की हत्या वो मामला है जिसे उसने खुद ऑन टीवी स्वीकारा था कि उसने नीलकंठ गंजू नामक जज को मौत के घाट उतारा था क्योंकि वह जेकेएलएफ नेता के विरुद्ध सजा-ए-मौत सुनाने वाले थे। इतना ही नहीं यासीन मलिक के जेकेएलएफ पर निहत्थे IAF सैनिकों को मारने के भी आरोप हैं। नीलकंठ गंजू के पोते अनमोल ने तो साल 2019 में यासीन मलिक को सार्वजनिक तौर पर फंदे पर लटकाने की माँग भी की थी। इसके अलावा उन्होंने यासीन मलिक को कॉन्ग्रेस की मनमोहन सरकार से मिले समर्थन पर भी सवाल खड़े किए थे। आदित्य राज कौल द्वारा साझा वीडियो में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को उनसे हाथ मिलाते देखा जा सकता है।
(साभार)
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