मृत्युंजय दीक्षित
चुनावों के दौरान विरोधी दलों की ओर से भाजपा की छवि को धूमिल करने का हरसंभव प्रयास किया गया। चुनाव से पहले चर्चा फैलाई गयी कि ब्राह्मण वर्ग योगी सरकार से नाराज है जबकि चुनाव बाद का सर्वे बता रहा है कि भाजपा को 89 प्रतिशत ब्राह्मणों ने वोट दिया है।
वर्ष 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणामों पर पूरे भारत की ही नहीं अपितु विदेशी मीडिया की भी निगाहें थीं और कई प्रकार के विमर्श गढ़े जा रहे थे लेकिन उन सभी को उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने ध्वस्त कर दिया है। प्रदेश की जनता ने सभी राजनैतिक दलों को धूल चटा दी है और सुरक्षा, विकास स्थिरता व राष्ट्रवाद के नारे को प्राथमिकता देते हुए एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को विजयश्री दिलायी है।
2022 के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर वो सभी सर्वे फेल हो गये हैं जिनमें कई पत्रकार बंधु भाजपा को अधिक से अधिक 217 से 230 सीटों पर ही सिमटा रहे थे और एक-दो पत्रकार भाजपा को 140 से 170 सीटें भी दे रहे थे। आज वह सभी पत्रकार अपना सिर खुजला रहे हैं और विचार कर रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अभी भी कायम है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए सभी प्रकार के हथकंडे अपनाये गये चाहे वह किसान आंदोलन हो, लखीमपुर-खीरी की हिंसा का मामला हो या फिर हाथरस की दुर्भाग्यपूर्ण घटना रही हो। प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को हराने के लिए कर्नाटक से हिजाब का एजेंडा चलाया गया, जगह-जगह हिजाब को लेकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की गयी लेकिन प्रदेश के समझदार मतदाता ने सभी साजिशों और समीकरणों को ध्वस्त कर दिया। प्रदेश के विरोधी दलों की ओर से झूठा विमर्श गढ़ा गया कि प्रदेश का ब्राह्मण समाज, पश्चिम का जाट समाज व किसान योगी सरकार से नाराज है लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। भारतीय जनता पार्टी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के, “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” के मूल मंत्र के कारण मुस्लिम समाज को छोड़कर शेष समाज के सभी वर्गों का वोट मिला है।
भारतीय जनता पार्टी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मठ और ईमानदार छवि का भी लाभ मिला है। योगी भाजपा के असली कर्मयोद्धा बनकर उभरे हैं। प्रदेश की जनता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपराधियों के प्रति जो नीतियां अपनायीं उसके लिए अपना समर्थन दिया है। योगी सरकार में महिलाओं व कॉलेज जाने वाली युवतियों में सुरक्षा की भावना पैदा हुयी जिससे उन्होंने योगी के नेतृत्व में भाजपा को भरपूर वोट दिया है।
योगी के कार्यकाल में लगभग दो वर्ष कोरोना महामारी का प्रकोप रहा। योगी का सक्षम कोरोना प्रबंधन सभी ने देखा। कोरोना कालखंड में भाजपा सरकार ने जिस प्रकार से 15 करोड़ परिवारों को फ्री राशन उपलब्ध कराया है वह महतवपूर्ण है। कठिन समय में सरकार का वह साथ आम जनता के मन व दिमाग में पूरी तरह से समा गया था जिसका परिणाम आज आया है। जब प्रदेश के विरोधी दलों को समझ में आया कि फ्री वैक्सीनेशन और राशन का असर मतदाता के दिलोदिमाग पर पड़ रहा है तब उनकी ओर से यह झूठा प्रचार किया गया कि यह फ्री का राशन केवल चुनावों तक ही मिलेगा लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से एक टीवी कार्यक्रम में ही यह ऐलान कर दिया गया था कि प्रदेश में बीजेपी सरकार की वापसी के बाद भी फ्री का राशन मिलता रहेगा। फ्री राशन के अतिरिक्त शौचालय, घर जैसी अकल्पनीय चीज़ पाने वाले विभिन्न लाभार्थी मतदाताओं ने भी बीजेपी को विजय दिलाने में सहयोग किया है।
प्रदेश में भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुशासन का भी मत मिला है। केंद्र की मोदी सरकार के प्रति जनसंतोष ने भी यूपी में भाजपा की बड़ी सहायता की है। उज्ज्वला, प्रधानमंत्री आवास योजना सहित कई योजनाओं के कारण भाजपा ने अपना एक नया मतदाता वर्ग तैयार कर लिया है जिसका असर चुनाव परिणामों में देखने को मिला है। एक सर्वे में 38 प्रतिशत लोगों ने विकास को अपनी प्राथमिकता बताया। गरीब कल्याणकारी योजनाओ का असर भांप रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री यागी आदित्यनाथ ने जनसभाओं से इन योजनाओं का प्रचार भी लगातार किया जिसका असर यह हुआ कि बसपा का जाटव सहित दलित वोट बैंक बड़ी मात्रा में भाजपा के पाले में चला गया और आज प्रदेश की राजनीति में बसपा हाशिये पर चली गयी है।
इन चुनाव परिणामों से एक बात यह भी साबित हो गयी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैलियों व रोड शो का भरपूर असर हुआ है।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी नेताओं ने अपनी जनसभाओं में विकास योजनओं के साथ-साथ सपा सरकार के कार्यकाल के दौरान अपराध, उनकी गुंडई, भ्रष्टाचार को मुददा बनाया और अहमदबाद कोर्ट का फैसला आने के बाद प्रधानमंत्री ने वह मुद्दा भी खूब जोरशोर से उठाया और समाजवादी पार्टी को पूरी तरह से बेनकाब कर डाला। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा के नजरिये से सबसे कठिन माने जा रहे पश्चिमी उप्र की जिम्मेदारी संभाली और परिणाम आज सबके सामने है।
प्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणामों से यह निष्कर्ष भी निकल रहा है कि अब भारतीय जनता पार्टी अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं के बल पर समाज के सभी जाति व वर्ग की पार्टी बन चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कई जनसभाओं में स्पष्ट किया कि वह केवल गरीबों की सेवा ही करना चाहते हैं और सदा करते रहेंगे। वाराणसी की अंतिम जनसभा में प्रधनमंत्री ने जिस प्रकार से गरीबी और गरीबों की सेवा करने की बात कही थी उसका असर साफ दिखायी पड़ा। प्रधानमंत्री ने रैलियों में गरीबों को भरोसा दिलाया था कि गरीब के घर में दोनों समय चूल्हा जले यह हमारी जिम्मेदारी है। उनके भाषण का ही असर रहा कि आज वाराणसी की सभी आठ सीटों पर कमल का फूल खिल रहा है। चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि गरीबों के मसीहा की बनकर उभरी है और इसका लाभ भाजपा को हर राज्य में मिल रहा है।
चुनावों के दौरान विरोधी दलों की ओर से भाजपा की छवि को धूमिल करने का हरसंभव प्रयास किया गया। चुनाव से पहले चर्चा फैलाई गयी कि ब्राह्मण वर्ग योगी सरकार से नाराज है जबकि चुनाव बाद का सर्वे बता रहा है कि भाजपा को 89 प्रतिशत ब्राह्मणों ने वोट दिया है जोकि 2017 की तुलना में छह गुणा अधिक है। यही नहीं 2017 में तत्कालीन प्रदेश सरकार की तुलना में योगी सरकार के प्रति जनता की संतुष्टि भी साठ प्रतिशत से अधिक रही।
चुनाव परिणामों से एक संदेश दलबदलू नेताओं को भी मिल भी गया है। अंतिम समय में दल बदलने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी आदि को भारी हार का सामना करना पड़ा है। विधानसभा चुनाव परिणामों से यह निष्कर्ष भी निकल रहा है कि जो दल, नेता व विधायक पूरे पांच वर्षों तक जनमानस के बीच रहकर उनकी सेवा करते रहेंगें जनता उन्हें एक बार फिर चुन ही लेती है लेकिन जो लोग केवल चुनावी राजनीति करते हैं और केवल चुनावों के समय ही कपड़े बदलकर जनता के बीच आ जाते हैं और जनता के बीच केवल दारू और धन बांटकर, समाज व जातियों के बीच वर्ग संघर्ष पैदाकर वैमनस्य की खाई को चौड़ा कर चुनाव जीतना चाहते हैं, अब जनता उन तत्वों को सबक भी सिखा रही है।
भाजपा की जीत में एक महत्वपूर्ण बिंदु यह भी सामने आ रहा है कि अगर कुछ सीटों पर उम्मीदवारों और संगठन के बीच तालमेल ठीक से बैठा होता व कार्यकर्ताओं से संपर्क कर लिया गया होता तो इसमें कोई संदेह नहीं था कि भाजपा तीन सौ पचास का लक्ष्य भी प्राप्त कर सकती थी लेकिन इसमें चुनाव प्रचार के बीच कई कमियां रह गयी हैं। इन कमियों पर ध्यान देते हुए भाजपा 2027 में और अधिक मजबूती के साथ एक बार फिर चुनाव मैदान में बाजी मार सकती है लेकिन यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।
प्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर से विधानसभा चुनाव लड़ा और उन्हें वहां की जनता ने भारी मतों से विजयी बनाया। उनके खिलाफ जब जय भीम, जय भीम का नारा लगाते हुए चंद्रशेखर चुनाव मैदन में उतरे तो विदेशी पत्र-पत्रिकाएं उसके समर्थन में लेख लिखने लग गयीं। यही नहीं भारत विरोधी पत्रिका टाइम मैगजीन ने चंद्रशेखर को भारत के सौ शक्तिशाली लोगों में बता दिया। विदेशी चैनलों के बल पर यहां के सेकुलर टीवी चैनलों ने भी उसका खूब प्रचार किया और कहा कि योगी हार जायेंगे लेकिन चंद्रशेखर की जमानत तक नहीं बची और जातिवाद का ढिंढोरा बेनकाब हो गया जिसकी चपेट में बसपा भी आ गयी। एक बार फिर प्रदेश में योगीराज की स्थापना होने जा रही है। योगीराज 2.0 में रामराज्य 2.0 की छाप दिखाई पड़ेगी और प्रदेश में जो अपराधी व दंगाई बचे हुए हैं उनके खिलाफ और अधिक कड़े कदम उठाये जायेंगे तथा विकास की एक नयी परिभाषा गढ़ी जायेगी।