———————————————ममता बनर्जी बड़ी विचित्र राजनीतिज्ञा है। वह हर जगह अपनी बात ज़ोर ज़बरदस्ती से मनवाने की जिद करती देखी जा सकती है। ममता बनर्जी कांग्रेस से कहती है वह भाजपा के विरुद्ध लड़ाई कर नही पाती है, इसलिए विपक्ष के अगले प्रधान मन्त्री का संयुक्त उम्मीदवार उसे माना जाय। क्योंकि उन्होंने पश्चिम बंगाल में भाजपा को हराया है।
जैसे पश्चिम बंगाल में भाजपा का शासन हो उसे ममता ने उखाड़ फेंका हो। ममता पश्चिम बंगाल में भाजपा का न तो लोकसभा चुनाव में उत्थान रोक सकी न विधान सभा चुनाव में ।भाजपा के २ से १८ संसद सदस्य हो गये, ३ से ७७ विधायक हो गये। पश्चिम बंगाल में भाजपा का उत्थान कहाँ रोक पा रही है ममता? उसके ३४ संसद सदस्य से २२ हो गये पर कांग्रेस के ४२ से ५२ हुवे। कांग्रेस ने भाजपा को छत्तीसगढ़ व राजस्थान में कांग्रेस को हरा कर सक्ता प्राप्त की। वही ममता के राज में भाजपा आगे बढ़ती जा रही है, चाहे संसद सदस्यों का मामला हो या विधान सभा सदस्यों का। ममता के राज में इतना सुन्दर गणतंत्र है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पर या उनकी गाड़ी पर टीएमसी के कार्यकर्ता ८३ बार जानलेवा हमला करते हैं, उसके बावजूद भाजपा मैदान में डटी रहती है। उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री आदित्य नाथ के विमान को बंगाल में उतरने नही दिया जाता है। वे झारखंड में उतरकर कार द्वारा बंगाल में सभा करने आ पाते हैं। वहीं वह जब उत्तर प्रदेश जाती है तो उसे मुख्य मन्त्री की सुविधा चाहिये नही तो गणतंत्र ख़तरे में है।
आज पश्चिम बंगाल में राज्य निर्वाचन आयोग के नेतृत्व में चुनाव होता है तो ४० प्रतिशत वोट पाने वाली भाजपा को १३ प्रतिशत वोट मिलता है। राज्य में भाजपा के जितने विधायक हैं उतने भी म्यूनिसिपल करपोरेटोर जीत नही पाते हैं। चुनाव के पहले दिन भाजपा कार्यकर्ताओं को ममता की पुलिस गिरफ़्तार कर लेती है जो बचे रहते हैं उन पर चुनाव वाले दिन टीएमसी के गुंडे हमाला करते हैं। पुलिस टीएमसी के गुंडो के बजाय भाजपा के कार्यकर्ताओं को जेल भेज देती है। यह है ममता मार्का गणतंत्र। इस भयंकर परिस्थिति में भी भाजपा मैदान नही छोड़ रही है, यह है उनकी गणतंत्र रक्षा के लिये प्रति बद्धता।
भाजपा के लिए मैदान साफ होता जा रहा है । राजनीति के खेल को समझने वाले खिलाड़ी इस बात को भली प्रकार समझ रहे हैं। जो नहीं समझ पा रहे हैं सचमुच वह अनाड़ी हैं। आने वाला कल भाजपा का होगा। इसे ममता बनर्जी भी भली प्रकार जानती हैं। पर राजनीतिक में आने वाले कल की संभावनाओं को जानकर भी कोई राजनेता सच को सच नहीं कह पाता है। विशेष रूप से तब जब बाजी के हारने की पूरी संभावना हो, जहां तक ममता बनर्जी की बात है तो वह कभी भी दीवार पर लिखी इबारत को सही – सही पढ़ने की कोशिश नहीं करेंगी।