दक्षिण भारत का अवन्ति गुरुकुल, भारत की वैदिक विरासत का बेजोड़ नमूना

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गुजरात के नर्मदा जिले के सांडिया गांव में स्थित अवंति गुस्र्कुल में 100 फीसदी जॉब प्लेसमेंट की व्यवस्था है। यहां बालकों को आधुनिक भौतिक सुख-सुविधाओं से दूर रखकर प्राकृतिक वातावरण में शिक्षा प्रदान की जाती है। यानी सूर्य, चंद्रमा और दीये की रोशनी में। छह वर्षों से संचालित इस गुस्र्कुल में बिजली नहीं है। वर्तमान में 40 विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। आचार्य दामोदरदास बताते हैं कि बालक को प्रवेश 7 वर्ष की उम्र में देते हैं। शुस्र्आत के तीन साल उनका स्वभाव देखते। स्वभाव ब्राह्मण अनुरूप होता तो उसे वेद, शास्त्र की शिक्षा देते।

अगर वैश्य स्वभाव पाया जाता तो कृषि, गोरक्षा की शिक्षा देते। शिक्षा पूर्ण करने के बाद विद्यार्थी को उनके कौशल अनुरूप जॉब प्लेसमेंट दिया जाता है। अगर वह खेती करने में कुशल है तो उसे कृषि भूमि दी जाती है। अगर वह कपड़ा बनाने में कुशल है तो उसे हैंडलूम मशीन और कारखाने के लिए जगह दी जाती है। गुस्र्जनों का ध्येय है कि अगर हम टीवी, मोबाइल, कम्प्यूटर, मोटर जैसी आधुनिक भौतिक सुविध्ााओं से दूर रहेंगे तो प्रकृति का संतुलन बना रहेगा। और इससे आध्यात्मिक उन्न्ति के लिए विद्यार्थी समय निकाल सकेंगे।

दक्षिण भारत का मैत्रेयी गुरुकुल : गौमूत्र से शैंपू और सिर का तेल बनाने तक की शिक्षा

कर्नाटक के मंगलुर में स्थित मैत्रेयी गुरुकुल सिर्फ बालिकाओं के लिए है, जहां हर वर्ग की बालिकाओं को पंचमुखी शिक्षा अंतर्गत वेद, योग, विज्ञान, कृषि और कला के साथ स्वावलंबन, आत्मरक्षा के गुर सिखाए जाते हैं। यहां की शिष्याएं गौमूत्र से शैंपू बनाने से लेकर सिर का तेल बनाना जानती हैं। गुरुकुल 24 वर्षों से संचालित है। प्रवेश 10 वर्ष उम्र की बालिकाओं को दिया जाता है। अब तक 200 बालिकाएं 12 साल की आवासीय शिक्षा प्राप्त कर स्वस्थ समाज के निर्माण में जुट चुकी हैं।

ज्यादातर अच्छी गृहिणियां हैं और कुछ वैदिक आचार्य। वर्तमान में यहां 97 बालिकाएं शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। आचार्य श्रीमती भट्ट ने बताया कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा स्टेट बोर्ड से दिलवाई जाती है। यहीं से संस्कृत में बीए और एमए कराने की व्यवस्था भी है। सभी को संस्कृत, तेलुगु, हिंदी, अंग्रेजी और कन्नड़ भाषा में प्रशिक्षण दिया जाता है। यानि यहां की सभी छात्राओं को कम से कम पांच भाषाओं का ज्ञान है। सबको कम्प्यूटर चलाना आता है। सब की दिनचर्या सुबह 5 बजे योग करने से शुरू होती और रात 9.30 बजे तक शिक्षा के विभिन्न् प्रकल्पों के साथ चलती है।

भारत में 4 हजार गुरुकुल हैं, जहां हजारों बच्चे अपनी बाल्यावस्था से युवावस्था तक चौबीसों घंटे गुरु के सानिध्‍य में रहकर संपूर्ण 64 कलाओं का ज्ञान प्राप्त करते हैं। ऐसा ज्ञान, जिसका उद्देश्य नौकरी पाना नहीं बल्कि आध्यात्मिक उन्नति पाना होता है। ऐसे ही कुछ गुरुकुलों की गतिविधियां और विशेषताओं को नईदुनिया ने अंतरराष्ट्रीय गुरुकुल सम्मेलन में आए उनके आचार्य और शिष्यों के माध्यम से जाना। ये जानकारी 2018 तक की है। जय श्री राम

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