श्री रामेश्वरलाल माहेश्वरी ने बताया कि-खांसी जुकाम-15 मिली गौ-अमृत हमेशा पीना चाहिए इसके निरंतर प्रयोग से कफ खांसी जुकाम का शमन होता है।
नारी रोग-प्रतिदिन प्राय: सांय 15-15 मिली. गौ-अमृत पीने से स्त्रियों के मासिक धर्म की गड़बड़ श्वेत व रक्त प्रदर इनके द्वारा होने वाली सभी प्रकार की कमजोरी, कमर दर्द, सिर दर्द, हाथ पांव फूलना, जी घबराना, चक्कर आना, दिल की निर्बलता, गैस ट्रबल, हाथ-पैरों की जलन, नींद न आना, दिमागी गर्मी, क्रोध आना, मुख मंडल पर छोटी छोटी फुंसियां निकलना आदि ठीक होते हैं। इसको सदा लेने से नारियों के स्वास्थ्य और सौंदर्य की संपूर्ण रक्षा होती है।
बहरापन-लंबे समय तक गौ-अमृत गर्म करके 5-5 बूंद कान में डालने से बहरापन मिट जाता है।
कान दर्द : कान दर्द में गौ-अमृत का गर्म कर सुहाता सुहाता कान में डालें। कान दर्द नष्टï हो जाएगा।
चोट लगना, कटना, मोच आना-चोट लग जाए, शरीर का कोई अंग कट जाए, मोच आ जाए तो गौ-अमृत लगावें। रक्त बहना तुरंत बंद हो जाएगा। घाव न पकेगा, न ही सैप्टिक होगा। मोच आने पर चनों को कपड़े से बांधकर मोच के स्थान पर कसकर बांध दें और और उन्हें गौ-अमृत में तर करें। बारबार भिगाएं। जैसे-जैसे चने फूलेंगे, सारी मोच को खेंच लेंगे।
तपेदिक (टी.बी.)-क्षय रोगी को गौ दूध व मक्खन का प्रयोग करन्ना चाहिए। प्रतिदिन 15 मिली गौ-अमृत का पान करना चाहिए। गाय के गोबर और मूत्र की गंध से क्षय रोग कीटाणुओं का नाश होता है, अतक्षय रोग के रोकी को गौ शाला में सोना चाहिए और उसकी खाट को प्रतिदिन गौ-अमृत से धोनी चाहिए।
जलोदर (पेट में पानी भर जाना) केवल गौ दुग्ध का ही सेवन करें। इसके साथ 15 मिली. गौ-अमृत में 10 ग्राम शहद मिलाकर पिलाने से जलोदर नष्टï हो जाता है।
कुष्ठ, फीलपांव (हाथीपांव) 15 मिली गौ-अमृत में 10 ग्राम पुराना गुड़ और 1 ग्राम हल्दी का चूर्ण मिलाकर पिलाने से कुष्ठ और हाथीपांव में लाभ होता है। गौ-अमृत की मालिस भी करनी चाहिए।
बाल झडऩा-म्यादी बुखार (टाइफाइड) के कारण किसी भी दवा के सेवन से या किसी अन्य कारण से सिर के अथवा अन्य किसी स्थान के बाल उड़ गये हों तो 50 ग्राम तंबाकू के पत्तों को 100 मिली गौ-अमृत में अच्छी प्रकार घोट-पीसकर मिला दें। 10 दिन तक किसी कांच, चीनी मिट्टी के पात्र में पड़ा रहने दें। दस दिन के पश्चात पेस्ट बन जाने पर इसे जहां के बाल उड़े हैं, वहां लगायें, निरंतर कुछ दिन लगाने से झड़े हुए बाल पुन: आ जाते हैं। इसे सिर में भी लगा सकते हैं।
जोड़ों का दर्द – गौ-अमृत 15 मिली एरण्ड का तेल 10 मिली को मिलाकर दो माह तक पीने से जोड़ों का दर्द और वातविकार नष्टï होते हैं।
उदर विकार-उदर (पेट) के सभी रोगों में प्रतिदिन 15 मिली गौ-अमृत पान करने से लाभ होता है।
बच्चों की सूखी खांसी-बच्चों को खांसी होने पर 7 मिली गौ-अमृत और उसमें एक ग्राम हल्दी का चूर्ण मिलाकर पिलाना चाहिए, खांसी भाग जाएगी।
दाद-धतूरे के 50 ग्राम पत्तों को गौ-अमृत से पीसकर उन्हें 100 मिली गौ-अमृत में उबालें। गाढ़ा होने पर दाद पर लगाएं दाद जाता रहेगा।
हर्निया-एक चम्मच त्रिफला पाउडर को एक गिलास पानी में उबालकर जब आधा पानी रह जावे तब दो ढक्कन गौ-अमृत के साथ सुबह-सुबह खाली पेट लेने पर हार्निया रोग में फायदा होता है।
क्रमश:
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