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अपने सांसदों की आधी संख्या भी नहीं बचा पाएंगी ममता बनर्जी आगामी लोकसभा चुनावों में : इंजीनियर श्याम सुंदर पोद्दार

     

       ———————————————आज जब राज्य की सभी विधान सभा सीटों का चुनाव परिणाम इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर उपलब्ध है, तब पिछले विधान सभा चुनाव की गहन  समीक्षा  करने पर पाते हैं पश्चिम बंगाल अभी भी कांग्रेस व लेफ़्ट के २०१९ में आरम्भ हुए पतन व उनके वोट टीएमसी  व भाजपा में जाने के दौर से गुज़र रहा है। पश्चिम बंगाल के पिछले चुनाव में न बहिरागत  मुद्दा काम कर गया ना ही प्रशांत किशोर की जनकल्यानकारी नीतियां। यदि ऐसा होता तो राज्य के हिन्दु समाज के १३.५ लाख नये मतदाताओं का ८ लाख ५० हज़ार वोट भाजपा को नही मिलता। टीएमसी को ५ लाख नये हिन्दु मतदाताओं  का वोट ही मिल पाया। मुस्लिम नए मतदाताओं  ५.५ लाख वोट TMC  को ज़रूर शत प्रतिशत मिला। २०१९ में भाजपा ५८ लाख वोट से सीधे २ करोड़ ३० लाख वोट पाकर १८ लोकसभा सीटों पर विजयी रही। इस विजय का  मुख्य कारण लेफ़्ट का १ करोड़ वोट जो कांग्रेस विरोधी वोट था व पूर्व बंगाल के हिन्दु शरणार्थियों का वोट था वह भाजपा में शिफ़्ट हो गया।
      कांग्रेस का ३४ लाख मुस्लिम वोट यदि  टीएमसी
में शिफ़्ट नही हुआ होता तो भाजपा और भी सीट प्राप्त करती। क्योंकि विधान सभा चुनाव में भाजपा से टीएमसी में आया २९ लाख वोट वापस भाजपा में लोकसभा चुनाव में चला गया। इस बार विधान सभा चुनाव में वोट शिफ़्टिंग की प्रक्रिया जारी रही व कांग्रेस का २२ लाख मुस्लिम वोट टीएमसी में शिफ़्ट हो गया। यही एक निर्णायक की भूमिका निबाह गया। टीएमसी का कुल वोट २ करोड़ ४८ लाख से बढ़ कर २ करोड़ ८९ लाख पहुँचा यानी ४१ लाख वोट बढ़ा जिसमें २२ लाख कांग्रेस से मुस्लिम वोट शिफ़्ट होने से मिला ५ लाख नए हिन्दु मतदाताओं का मिला ५.५ लाख मुस्लिम नए मतदाताओं का मिला ८.५ भाजपा में लोकसभा चुनाव में गए २९ लाख वोट में ८.५ लाख वापस आने से कुल ४१ लाख हो जाता है।
    इस  चुनाव में भाजपा को ८.५ नए हिन्दु मतदाताओं का ही वोट नही मिला ५ लाख वोट सुभेंदु अधिकारी अपने साथ टीएमसी का भी भाजपा में ले गए इसलिए भाजपा को लोकसभा चुनाव के समान ही २ करोड़ ३० लाख वोट मिल गए। विधान सभा चुनाव को यदि लोकसभा चुनाव में बदले तो भाजपा १८ लोकसभा केंद्रो में मिली विजय में सिर्फ़ ९ में बचा पाती है। कांग्रेस अपनी २ सीट टीएमसी को गँवा देती है भाजपा टीएमसी से तीन नयी सीट जीत लेती है। लोकसभा चुनाव में ५० लाख लेफ़्ट के मतदाता को सीपीएम बचा नही पाएगी। क्योंकि आज उसके पास न ३५ विधायक है न ३१० कारपोरेटर। ये वोट टीएमसी में जा नही सकते। इनका   २०१९ की तरह भाजपा में जाना हुवा जिसकी सम्भावना प्रबल है तो टीएमसी के लिये घातक होगा। टीएमसी के पास राज्य के ७५ प्रतिशत कारपोरेटर व ८५ प्रतिशत  पंचायत सदस्य थे। पर भारत के चुनाव आयोग के अंतर्गत होने वाले लोकसभा चुनाव में ३४ से २२ पर आ गयी यानी पंचायत सदस्य या म्यूनिसिपल कारपोरेटर महत्वहीन है।

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