संघ लोक सेवा आयोग के सीसेट प्रश्न पत्रों के खिलाफ चल रहा आंदोलन अब उग्र होता जा रहा है। पुलिस आदोलनकारियों के साथ जोर जबर्दस्ती कर रही है। उधर धरने पर बैठे लड़के भी अपने वाली पर उतर आए है। वे तोड़ फोड़ कर रहे हैं। बसें जला रहे हैं। जंतर मंतर पर भी धरना दे रहे हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि वे ज्यादा भयंकर हिंसा करने लगे।
उधर सरकार पर भी दबाव बढ़ गया हैं। संसद में कई दलों के नेता बोले हैं। स्वंय भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी भी हिंदी के पक्षधर हैं। इसीलिए उन्होंने तुरंत एक कमेटी बैठा दी थी। सरकार की तरफ सें संघ लोक सेवा आयोग को एक लंबी चिट्ठी भी गई है, जिसमें आंदोलनकारियों की मांगों पर सफाई मांगी गई है। कमेटी ने तो 24 अगस्त को होने वाली सीसेट की परीक्षा बनाए रखने का समर्थन किया है। कमेटी ने 24 अगस्त तक का समय इतना कम बताया है कि इस दौरान सीसेट के प्रश्न पत्रों को बदलना या परिक्षा को टालना व्यावहारिक नहीं है। क्योंकि नौ लाख से ज्यादा अर्जीयां आई हैं। और दो लाख से ज्यादा छात्रों को प्रवेश पत्र दे दिए गए हैं। वह इतना कर सकता है कि इस परीक्षा में जो सफल नही होंगे।
सरकार दुविधा में पड़ गई है। इसकी जरूरत नहीं है। सीसेट के पर्चों के प्रश्नों का तो हल कुछ विशेषज्ञ दो चार घंटों में कर सकते है। 22 नंबर के अंग्रेजी प्रश्नों की जगह हिंदी प्रश्न लिखे जा सकते हैं। दो तीन लाख प्रश्न पत्रों को छापने में कितनी देर लगेगी? आजकल तकनीक का जमाना है। दो लाख पर्चे दो दिन में छप कर तैयार हो सकते हैं। मोदी सरकार चाहे तो हिम्मत करे। देश में नई भाषा नीति चलाए। अंग्रेजी के गढ़ को ढ़हाए। जो काम अब तक कोई प्रधानमंत्री नहीं कर सका, मोदी वह करे। यह मोदी की परीक्षा है। यदि वे इसमें मात खा गए तो समझ लीजिए कि नौकरशाही जीत गई और इस नई सरकार की अधोयात्रा प्रांरभ हो गई।