गाजियाबाद,: बढ़ते शहरीकरण और बदलती जीवनशैली के कारण शारीरिक श्रमरहित दिनचर्या ने मोटापा बढ़ाने में बड़ा योगदान किया है और अब यह एक महामारी का रूप लेती जा रही है। युवाओं और कम उम्र के लोगों में भी अब मोटापा बहुत सामान्य बात हो गई है जिस वजह से डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिसआॅर्डर, सोने की समस्या, जोड़ों का दर्द, इनफर्टिलिटी जैसी कई तरह की गंभीर बीमारियां और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। विश्व मोटापा दिवस के मौके पर मैक्स हॉस्पिटल वैशाली ने स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की जरूरत और मोटापा रोकने के उपाय पर जोर देने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया ताकि मोटापे से जुड़ी अन्य समस्याओं को दूर रखा जा सके। अस्पताल में वजन कम करने का विशेष प्रबंधन कार्यक्रम शुरू करने की भी घोषणा की गई।
इस मौके पर डॉ. विवेक बिंदल ने हरियाणा की श्रीमती कृष्णा वर्मा और दिल्ली के सिद्धांत खन्ना के दो नए मामलों के बारे में बताया। ये दोनों मरीज गंभीर रूप से मोटापे से पीड़ित थे और उनका वजन कम करने के लिए न्यूनतम शल्यक्रिया वाली बैरियाट्रिक सर्जरी कराई गई। हरियाणा की 42 वर्षीया श्रीमती कृष्णा का वजन 119 किलो था और सफल बैरियाट्रिक सर्जरी कराने के बाद अब वह 87 किलो की रह गई है। दिल्ली के 29 वर्षीय सिद्धांत का वजन 163 किलो था और उसका भी बैरियाट्रिक सर्जरी के बाद वजन 136 किलो रह गया। एक साल में उसका वजन 80 किलो तक पहुंचने की उम्मीद है। दिल्ली के ही 41 वर्षीय मनीष अग्रवाल का वजन पहले 121 किलो था और बैरियाट्रिक सर्जरी के बाद उसका वजन 77 किलो रह गया।
मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, वैशाली में बैरियाट्रिक एंड रोबोटिक सर्जरी के निदेशक और प्रमुख डॉ. विवेक बिंदल ने कहा, ‘मोटापे से पीड़ित लोगों में बैरियाट्रिक (मोटापा) सर्जरी या वजन घटाने वाली सर्जरी या मेटाबॉलिक सर्जरी में कई तरह की प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं। इस प्रक्रिया में पेट का एक हिस्सा (स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी) निकालकर पेट का आकार कम किया जाता है। इसमें छोटी आंत को पेट के छोटे पाउच (गैस्ट्रिक बायपास सर्जरी/ वन एनास्टोमोसिस गैस्ट्रिक बायपास) को रीरूट किया जाता है। रोबोटिक बैरियाट्रिक सर्जिकल प्रक्रियाएं उन मरीजों पर अपनाई जाती है जिनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) अत्यधिक रहता है और जिन्हें मोटापे से संबंधित अन्य बीमारियां होती हैं। बैरियाट्रिक सर्जरी से डायबिटीज, हाई बीपी और आॅब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की समस्या दूर की जाती है। सैकड़ों इंसुलिन यूनिट लेने के बावजूद कई सारे मरीजों का ब्लड शुगर अनियंत्रित रहता है, उन्हें कोई दवाई लिए बगैर बैरियाट्रिक सर्जरी कराने से डायबिटीज से उबारा जाता है और उनका ब्लड शुगर नियंत्रित किया जाता है।’
रोबोटिक सिस्टम के मुख्य लाभ गैस्ट्रिक बायपास में देखे जाते हैं जिससे हमारे शरीर के अंदर 3डी एचडी व्यू मिलता है, इसमें हाथ के मुकाबले अधिक मुड़ने वाले उपकरण होते हैं जिससे बेहतर परिशुद्धता और नियंत्रण मिलता है। इस तरह की प्रक्रियाएं अत्यंत सुरक्षित रहती हैं और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लीक की संभावना कम रहती है, बेहतर स्टोमा आकार और जख्म/संक्रमण का खतरा नहीं रहता है।
डॉ. बिंदल ने कहा, ‘वजन कम करने वाले किसी प्रयास का मूल मकसद लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव लाना और शारीरिक श्रम बढ़ाना है। अपने बायोलॉजिकल क्लॉक के अनुसार चलना ही अच्छी सेहत और रोगमुक्त रहने का मुख्य तरीका है। सोने की आदत बदलने या गलत समय पर सोने से खानपान भी गलत समय पर होने लगता है जिस कारण हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म बिगड़ जाता है। उचित समय पर रोजाना 7—9 घंटे की नींद लेना अनिवार्य है। मोटापे का इलाज संभव है लेकिन इसके लिए दवाइयां खाने के बजाय अच्छा खानपान का पालन करना बेहतर होता है। इस प्रक्रिया में डायटिशियन, एंडोक्रोनोलॉजिस्ट, साइकोलॉजिस्ट, इंटरनिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, फैमिली डॉक्टर, बैरियाट्रिक सर्जन जैसे विशेषज्ञों से तालमेल के बाद ही सर्जरी की जाती है। सर्जिकल मैनेजमेंट यानी बैरियाट्रिक सर्जरी अंतिम उपाय है जो स्थायी रूप से वजन कम करने और मोटापे से संबंधित सभी बीमारियों में सुधार लाने का सबसे प्रभावशाली उपचार साबित हुआ है।’
विश्व में मोटापा एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन गई है जिससे 80 करोड़ लोग प्रभावित हैं और लाखों लोगों की जान पर इसका खतरा रहता है। दिल की बीमारी, डायबिटीज, कैंसर और अन्य क्रोनिक बीमारियां बढ़ाने में इसका बड़ा योगदान रहता है। हाल के वर्षों में यह महामारी का रूप लेती जा रही है जिस कारण बीमारियों और मृत्यु के मामले बढ़ते जा रहे हैं। कई क्लिनिकों में वजन घटाने के कई उपाय किए जाते हैं लेकिन ये सब उपाय लंबे समय तक नहीं चलते हैं। मोटापे का आकलन, इससे बचाव, प्रबंधन और इससे होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानकारी होना जरूरी है लेकिन बहुत कम लोगों को इसका ज्ञान होता है। सबसे बड़ी बात यह जानना है कि मोटापा किसी शारीरिक समस्या से ज्यादा कष्टदायी है।